खुश रहने का सिक्रेट क्या है? Happines sicret motivation short for kids national youth's story telling 2021

  खुश कैसे रहा जाए?

खुश रहने का सिक्रेट क्या है?

खुश रहने का सिक्रेट क्या है? Happines sicret motivation short for kids national youth's story telling 2021

     एक बच्चा था वह बहुत ही होनहार था। एक दिन वे अपने पिताजी से प्रश्न पूछते हैं पिताजी खुश कैसे रहा जाता हैं? अर्थात खुश रहने का राज क्या है? पिताजी हैरानी से कहते हैं इतनी छोटी सी उम्र में यह सवाल, मैं शायद ही इसका सही जवाब दे पाऊंगा। लेकिन एक ऐसा व्यक्ति हैं जो तुम्हें इस प्रश्न का उत्तर दे सकता है।

वह कौन है? पिताजी मुझे जल्दी बताओ। वह कहां मिलेगा?

     पिता जी कहते हैं। वंहा दूर एक पहाड़ी है जँहा बहुत ही खूबसूरत जगह है। ऊपर एक महल मिलेगा, जिसमें एक महान बुद्धिमान पुरुष रहते हैं। वे तुम्हें सभी सवालों का जवाब दे सकते हैं। पिता जी मैं वहां जाना चाहता हूं। वह बच्चा अगले ही दिन अपनी सभी समान पकड़कर, टिफिन पैक कर वहां जाने के लिए निकल पड़ा।

     दो-तीन दिनों की कड़ी परिश्रम के बाद वे लड़का उस पहाड़ पर पहुंच गया। लड़का वहां का दृश्य देखकर खयालों में ही खो गया। वह जगह बहुत ही खूबसूरत थी। वह लड़का सोचता हैं, "पहले मैं जिस काम के लिए आया हूं उसे पूरा कर लेता हूं।" वहीं पास के बगीचे में एक व्यक्ति काम कर रहा होता है। लड़का उससे बुद्धिमान व्यक्ति के बारे में पूछता है। वह व्यक्ति लड़के को बताते हैं कि उधर एक महल है तुम्हें वहीं पर बुद्धिमान व्यक्ति मिलेगा। वह लड़का अपनी मंजिल को ढूंढते हुए आगे की ओर बढ़ता जाता है।  

     आखिरकार वह लड़का महल तक पहुँच हि जाता है। वहां पहले से कई सारे लोग मौजूद होते हैं। जो बाबा जी से सवाल कर रहे होते हैं। वे लड़का अंदर का दृश्य देख मनमोहित हो जाते हैं। फूलों की सजावट, तरह-तरह के पकवान और उस महल की मधुर सुगंध मन को विचलित कर उठता है। कड़ी मशक्कत के बाद (लगभग 3 से 4 घंटे बाद) उस लड़के का नंबर आया। लड़के बाबा जी से अपना सवाल प्रस्तुत करते हैं।

     बाबा जी आप को मेरा सादर प्रणाम, मेरा सवाल यह है कि, व्यक्ति की खुश रहने का राज क्या है? वह बाबाजी बड़ी प्रसन्नता से कहते हैं। बेटा इतनी छोटी सी उम्र में इतना बड़ा सवाल तुम बहुत प्रभावशाली लग रहे हो। इस सवाल का जवाब मैं तुम्हें तभी दूंगा जब तुम मेरे द्वारा दिए कार्य को पूरा कर लोगे। बाबाजी वह कार्य क्या है? मुझे जल्दी बताओ। बेटा धैर्य रखो। दरअसल तुम्हें इस महल को घूम कर अच्छी तरह से देखना होगा। यहां की खूबसूरत बगाने, विशाल पुस्तकालय, पेंटिंग और भी बहुत कुछ। लेकिन तुम एक चम्मच को पकड़े रहोगे जिसमें दो बूंद तेल होगा। लेकिन याद रहे पूरे महल घूमने तक इस चम्मच से एक भी बूंद तेल नीचे नहीं गिरना चाहिए।

     लड़का महल की भ्रमण के लिए निकल पड़ा। महल में बहुत ही घुमावदार जगह थी। उनका पूरा ध्यान उस चम्मच पर ही था। कि कहीं एक भी बूंद तेल नीचे ना गिर जाए। पूरे महल को घूमने के बाद फिर से वह लड़का बाबा जी के पास आ जाता है। बाबा जी मैंने आपका पूरा महल घूम लिया है। अब तो बताइए खुश रहने का राज क्या है? बाबा जी कहते हैं। तुमने वो बगीचे देखा कितनी खूबसूरत हैं। और वे फुल पूरे वातावरण को सुगंधित कर दिया है। इसे मैं 10 सालो के कड़ी परिश्रम के पश्चात बना पाया हूँ।

     तुमने वह भव्य पेंटिंग देखी जो आंखों को चकाचौंध कर दें। और वो विशाल पुस्तकालय देखा जिनमें बहुत सारे अनमोल किताबें हैं। यदि कोई उन किताबों को पढ़ लो तो इस संसार में ऐसा कोई भी सवाल नहीं है जिसका जवाब उसे पता ना हो। लड़का बोला क्षमा करें बाबा जी मैंने महल को ठीक से देख नहीं पाया मेरा पूरा ध्यान इस चम्मच पर था कि कहीं तेल की बूंद नीचे गिर ना जाए। बाबा जी कहते हैं बेटा तुम फिर से एक बार महल को घूम आओ। इस बार महल को तुम अच्छी तरह से देखना। 

     लड़का एक बार फिर से  महल को अच्छी तरह से घूम कर वापस आ गया। बाबा जी द्वारा पूछे जाने पर सभी सवालों का जवाब देने लगा। फिर बाबा जी पूछते हैं वह चम्मच कहां गया जिसमें तेल की बूंदे थी। लड़का कहते है - बाबा जी महल इतनी खूबसूरत था। मैं तो बिल्कुल ही आकर्षित हो गया था। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मुझसे चम्मच से वे दो बूंद तेल नीचे गिर गया।  देखो बेटा जब मैंने तुम्हें पहले महल देखने के लिए भेजा। तब तुम्हारा पूरा ध्यान उस चम्मच पर था तुम महल की खूबसूरती को देख नहीं पाए। और जब दूसरी बार भेजा तो तुमने महल की  खूबसूरती को निखारा, देखा, परखा और आनंद लिया। लेकिन तुम उस चम्मच को भूल गए। अपनी बेस को भूल गए।

     खुश रहने का राज यह है कि तुम जो भी करो कितनी भी खूबसूरत चीजें दिखो अपनी बेस को कभी ना भूलना।  जो व्यक्ति अपनी जड़ के साथ साथ, संस्कारों के साथ साथ आगे बढ़ते हैं, वह कभी दुखी नहीं होते और हमेशा खुश रहते हैं। वे सफलता की ऊंचाइयों को छूते हैं। उस लड़के को अपनी सवाल का जवाब मिल गया। और वे खुशी-खुशी अपने घर चला गया।

     दोस्तों हमें भी उस बाबाजी के सिखाएं हुए रास्तों पर चलना है। सच में खुश रहने का राज यही है कि हम अपने संस्कारों को (अपनी जड़ को ) बिना भुलाए आगे बढ़े, आधुनिक जीवन का आनंद लें। सफलता आपकी कदमों को चूमेगी। यह कहानी आपको कैसी लगी हो हमें कमेंट जरूर करें। 

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