Story of expectation लक्ष्य पाने की कहानी, लक्ष्य को कैसे प्राप्त करें?
नमस्कार dosto, aaj ki hamari kahani hai story of expectation लक्ष्य पाने की कहानी। dosto बाधा to her kisi ki jindgi me ati hai lekin jo बाधा ko par kar लक्ष्य पाने की कोशिश मे rahta hai vah kabhi असफल nahi hote. Is kahani me ek ladki kaise apne pita ji se expectation ke bharose लक्ष्य को पाती है। हम लक्ष्य ko kaise प्राप्त कर सकते है इस काहनी से जानेंगे। तो चलीए देखते है-
Story of expectation लक्ष्य पाने की कहानी
बात उन दिनों कि है जब कविता अपने पापा के साथ रहती थी। कविता की माँ बहुत पहले ही गुजर गई थी। वे दोनों बहुत ही खुसी - खुशी रहते थे। कविता को अपने पिता जी से बहुत ही expectation थी। कविता job work करती थी। उसके पिता जी भी किसी कम्पनी मे काम करते थे। हप्ते मे एक दिन दोनों का छुट्टी रहते थे। उस दिन दिनों घूमने के लिए जाया करते थे।
Story of expectation लक्ष्य पाने की कहानी
एक दिन कविता और उसके पापा दोनों कार मे घूमने के लिए निकले थे। कविता car driving कर रहीं थी। अचानक रास्ते मे तूफान आ गया। काविता अपने पिता जी से कहती है- "पापा चलो वापस घर लौट जाते हैं यहाँँ तूफान आया हैं।" उसके पिता जी कविता से कहते है - "नहीं बेटा तुम आगे गाड़ी चलाओ" कविता फिर आगे गाड़ी चलाने लगती है।
आगे तूफान और भी गहरा हो जाता है। कुछ गाडियां रास्ते पर हि खड़ा हो गया था। तभी कविता अपने पिता से कहती हैं - "पापा तूफान काफी तेज हो गई है और यहाँँ पर गाडियां भी खड़ा हो गई है कोई आगे नहीं जा रहे है,कार को यही रोक दूँ क्या?" फिर उसके पिता कविता के शब्दोंं को काटते हुए कहते है । नहीं बेटा, तुम आगे कार चलाओ, रुकना नहीं है। कविता अपने पिता जी से बहुत expectation करती थी। वह गाड़ी नहीं रोकी।
आगे जाने पर तूफान एकदम सा थम गया था। फिर उसके पिता जी कहते है। बेटी अब तुम कर रोक सकती हो। और नीचे उतरने के लिए कहा। कविता ने कार रोकी और नीचे उतरकर
Story of expectation लक्ष्य पाने की कहानी
पिता से सवाल किया कि क्यो अभी कार रोके है पहले क्यों नहीं?
उसके पिता जी कहते है। बेटी तुम पीछे मुड़कर देखो तुम्हें कोई नज़र आ रहा है। नहीं, कविता बोलती है। बेटी वे सभी पीछे इसलिए हो गए क्योंकि वे सभी मुसीबत को सामने देख बेबस होकर रुक गए और तुम आगे इसलिए आई हो क्योंकि तुमने मुसीबत का डट कर सामना किया तथा रुके नहीं।
Moral of the story :- success vahi log hue hai jinhone her musibat ka samna dat kar kiya hai ve kabhi ruke nahi, jhuke nahi. Ap bhi is kahani se sikh le sakte hai. यह कहानी आपको कैसे लगी हमें कमेंट जरूर करें तथा इसको शेयर भी करें धन्यावाद।
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