Biggest moral story ऊँठ और सियार की। मतलबी दोस्त।

    मुझे लगता है ऊंट ने सियार के साथ गलत किया। मैं मानता हूं कि सियार ने उसके साथ गलत किया था। फिर भी उसकी इतनी बड़ी सजा, कि उसकी जान ही ले - ले। यह तो जानवर है लेकिन इंसान भी कुछ कम नहीं होते। हर इंसान ऐसे नहीं होते हैं। लेकिन कुछ बदले लेने के चक्कर में एक - दूसरे की जान लेने के लिए तुले होते है।

 Biggest moral story ऊँठ और सियार की। मतलबी दोस्त। 

     एक जंगल मे बहुत सारे जानवर रहते थे। जिनमें ऊँठ और सियार भी थे। उन दोनों मे गहरी दोस्ती थी। साथ साथ घूमना, भोजन की तालाश मे जाना। वे दोनों अधिक्तर एक साथ ही रहते थे। वहीं पास मे एक छोटा सा गांव था। पास ही बहुत बड़ा खेत था। जिनमें सभी प्रकार कि सब्जियाँ लगी हुई थी। लेकिन खेत और नदी के बीचो बीच नदी बहती थी। सियार नदी में पानी पीने के लिए आए थे। उसकी नजर उन तमाम सब्जियों पर पड़ती हैं। वह बहुत खुश हो जाते हैं।

     आज की सुखदायक भोजन का इंतजाम हो गया। जाकर मेरे दोस्तों को बताता हूं। वह अपने दोस्त ऊँठ के  पास जाता है और सभी बात को बताता है। ऊँठ बोलते हैं। वहां जाना खतरे से खाली नहीं है। फिर भी सियार् नहीं माना, वहां जाने के लिए जिद करने लगा। और बोला नदी को पार करने के लिए मैं तुम्हारे पीठ पर बैठ जाऊंगा। ऊँठ बोला। ठीक है तो चलो चलते हैं।

     नदी पार करते वक्त ऊँठ सियार को कहते हैं। तुम खाने के बाद आवाजे बहुत करते हो, तो प्लीज वहां खाने के बाद आवाज बिल्कुल मत करना। वरना वहां का खेत का मालिक आ जाएगा। तुम तो बहुत तेज भाग जाओगे लेकिन मैं भाग नहीं पाऊंगा। सियार बोला ठीक है, मैं बिल्कुल भी आवजे नहीं करूंगा। 

     वह दोनों खेत में सब्जियां खाने लगे सियार का पेट छोटा था। छोटे होने के कारण उसका पेट जल्द ही भर गया।  लेकिन ऊँठ का अभी तक नहीं भरा था।  ऊंट की विनती करने पर भी सियार जोर-जोर से आवाजे करने लगा।  आवाज को सुन कर खेत का मालिक वहां आ पहुंचा। सियार तो दुम - दबाकर भाग खड़ा हुआ। लेकिन ऊँठ वहीं रह गया। बेचारे, उसको खूब डंडे से मार पड़ी।

    वह किसी तरह वहां से भागकर नदी किनारे आ पहुंचा। सियार भी वही उसका इंतजार कर रहा था। सियार अपनी सफाई देने लगा। मैंने यह जानबूझकर नहीं किया। मुझे खाने के बाद चिल्लाने की आदत है। मैं अपने आप को काबू नहीं कर पाता हूं। इसमें मेरी कोई गलती नहीं है।

    अब सियार ऊँठ के पीठ पर बैठ जाता है नदी को पार करने के लिए। ऊँठ बहुत ही ज्यादा गुस्से में था। और सियार से बदला लेना चाहता था। जब वे दोनों नदी के बीचो-बीच पहुंच गए, तब ऊँठ सियार से कहते हैं। मुझे पानी में बैठने की आदत है। सियार के मिन्नते करने लगे। कृपया आप नदी मे ना बैठे। मैं नदी में डूब जाऊंगा। अपनी जान की हवाला देने लगे। फिर भी उठ नहीं माने, और बैठ गया नदी में। नदी का बहाव तेज होने के कारण सियार बह गया। और नदी में डूब गया।

     मुझे लगता है ऊंट ने सियार के साथ गलत किया। मैं मानता हूं कि सियार ने उसके साथ गलत किया था। फिर भी उसकी इतनी बड़ी सजा, कि उसकी जान ही ले - ले। यह तो जानवर है लेकिन इंसान भी कुछ कम नहीं होते। हर इंसान ऐसे नहीं होते हैं। लेकिन कुछ बदले लेने के चक्कर में एक - दूसरे की जान लेने के लिए तुले होते है। आपकी क्या राय है, हमें कमेंट कर सकते हैं।  कहानी को अपने परिवार दोस्तों के साथ भी शेयर करें धन्यवाद। 

टिप्पणियाँ