मूर्ख होना अलग बात है और समझा जाना अलग new motivation story in hindi
मूर्ख होना अलग बात है और समझा जाना अलग new motivation story in hindi
एक गांव मे बहुत हि प्रतिष्ठित बुद्दिमान विद्वान रहते थे,उनकी ख्याति दूर - दूर तक फैली हुई थी।
एक दिन वंहा के राजा उनको चर्चा मे बुलाते है। चर्चा मे काफी विचार विमर्श हुआ, वह विद्वान वंहा अपनी बुद्धिमानी का छाप छोड़ा। चर्चा समाप्त होने कि कगार पर थी। तभी ने राजा उस विद्वान से कहा - "तुम इतने बुद्धिमान हो और तुम्हारा बेटा बहुत हि मूर्ख है, उसे तो सोने और चाँदी मे कीमती कौन है? यही पता नहीं है, तुम उसे कुछ समझाओ, सिखाओ।"
सभा समाप्त हुआ। वे विद्वान घर पहुंचते हैं और अपने बेटे से पूछते है। बेटा सोने और चाँदी मे कौन सबसे ज्यादा कीमती है। बेटा बिना एक पल गवांय उत्तर देता है। पिता जी सोना। तुमने तो जवाब सही दिया लेकिन राजा ऐसा क्यों कह रहे थे।
बेटा सारी बातें समझ जाता है और बोलता है। पिता जी मेरे विद्यालय जाने के रास्ते मे ही हप्ते मे तीन से चार दिन वंहा सभा लगते है। जब मैं वही से अपने विद्यालय जाने के लिए गुजरता हूँ। तभी राजा मुझे बुला लेता है और अपने एक हाँथ मे सोना के सिक्के तथा दूसरे हाँथ मे चाँदी के सिक्के लेकर कहते है। इनमे से एक वस्तु उठाकर ले जाओ। मैं तो चाँदी के सिक्के उठाता हूँ। तभी सभी ठहाके लगाकर हँसते है।
उसके पिता जी थोड़ा सा रोष होते हुए कहते है। तो फिर तुम सोने के सिक्के क्यों नहीं उठाते? तुम तो अपनी खिल्ली उड़ाते हो सांथ मे मेरा भी। बेटा उसे अलमारी के पास ले। जाते है। अलमारी से एक पेटी निकलता है। वह पेटी चाँदी के सिक्कों से भरा रहता है। पिता जी हैरान हो जाता है।
लड़का बोला - जिस दिन मैं सोने मे सिक्के उठा लिया उस दिन से खेल ख़त्म हो जाएगा। वो मुझे मूर्ख समझकर मज़ा लेते है तो लेने दो, मैं भी कुछ कम नहीं हूँ यदि मैं बुद्धिमानी दिखाऊंगा तो मुझे कुछ नहीं मिलेगा। आपका बेटा हूँ अक्ल से काम लेता हूँ।
मूर्ख होना अलग बात है और समझा जाना अलग होता है। एक बार का और तुरंत का फायदा लेने के बजाय समझदार लोग अधिक बार और लंबे समय कि सोचते हैं। इस कहानी के बारे मे अपनी राय हमें कमेंट जरूर करें।
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