Top 3 best motivational story in hindi सफलता पाने के लिए ये कहानियाँ जरूर पड़े

 Top 3 best motivational story in hindi 

दोस्तों आज कि दौर मे हमें मोटिवेशन की बहुत जरुरत है। ऐसे मे यह छोटी छोटी कहानियाँ हि हमें प्रेरणा देती है। आज हम लेकर आ गए है ऐसी हि Top 3 best motivational story in hindi सफलता पाने के लिए ये कहानियाँ जरूर पड़े।

1. लक्ष्य पाने की कहानी। 

      नमस्कार dosto, aaj ki hamari kahani hai story of expectation लक्ष्य पाने की कहानी। dosto बाधा to her kisi ki jindgi me ati hai lekin jo बाधा ko par kar लक्ष्य पाने की कोशिश मे rahta hai vah kabhi असफल nahi hote. Is kahani me ek ladki kaise apne pita ji se expectation ke bharose लक्ष्य को पाती है। हम लक्ष्य ko kaise प्राप्त कर सकते है इस काहनी से जानेंगे। तो चलीए देखते है-

Story of expectation

     बात उन दिनों कि है जब कविता अपने पापा के साथ रहती थी। कविता की माँ बहुत पहले ही गुजर गई थी। वे दोनों बहुत ही खुसी - खुशी रहते थे। कविता को अपने पिता जी से बहुत ही expectation थी। कविता job work करती थी। उसके पिता जी भी किसी कम्पनी मे काम करते थे। हप्ते मे एक दिन दोनों का छुट्टी रहते थे। उस दिन दिनों घूमने के लिए जाया करते थे। 

     एक दिन कविता और उसके पापा दोनों कार मे घूमने के लिए निकले थे। कविता car driving कर रहीं थी। अचानक रास्ते मे तूफान आ गया। काविता अपने पिता जी से कहती है- "पापा चलो वापस घर लौट जाते हैं यहाँँ तूफान आया हैं।" उसके पिता जी कविता से कहते है - "नहीं बेटा तुम आगे गाड़ी चलाओ" कविता फिर आगे गाड़ी चलाने लगती है। 

     आगे तूफान और भी गहरा हो जाता है। कुछ गाडियां रास्ते पर हि खड़ा हो गया था। तभी कविता अपने पिता से कहती हैं - "पापा तूफान काफी तेज हो गई है और यहाँँ पर गाडियां भी खड़ा हो गई है कोई आगे नहीं जा रहे है,कार को यही रोक दूँ क्या?" फिर उसके पिता कविता के शब्दोंं को काटते हुए कहते है  । नहीं बेटा, तुम आगे कार चलाओ, रुकना नहीं है। कविता अपने पिता जी से बहुत expectation करती थी। वह गाड़ी नहीं रोकी। 

     आगे जाने पर तूफान एकदम सा थम गया था। फिर उसके पिता जी कहते है। बेटी अब तुम कर रोक सकती हो। और नीचे उतरने के लिए कहा। कविता ने कार रोकी और नीचे उतरकर

पिता से सवाल किया कि क्यो अभी कार रोके है पहले क्यों नहीं? 

     उसके पिता जी कहते है। बेटी तुम पीछे मुड़कर देखो तुम्हें कोई नज़र आ रहा है। नहीं, कविता बोलती है। बेटी वे सभी पीछे इसलिए हो गए क्योंकि वे सभी मुसीबत को सामने देख बेबस होकर रुक गए और तुम आगे इसलिए आई हो क्योंकि तुमने मुसीबत का डट कर सामना किया तथा रुके नहीं। 

     Moral of the story :- success vahi log hue hai jinhone her musibat ka samna dat kar kiya hai ve kabhi ruke nahi, jhuke nahi. Ap bhi is kahani se sikh le sakte hai. 

2. खुश रहने का सिक्रेट क्या है?

  खुश कैसे रहा जाए?

खुश रहने का सिक्रेट क्या है?

खुश रहने का सिक्रेट क्या है? Happines sicret motivation short for kids national youth's story telling 2021

     एक बच्चा था वह बहुत ही होनहार था। एक दिन वे अपने पिताजी से प्रश्न पूछते हैं पिताजी खुश कैसे रहा जाता हैं? अर्थात खुश रहने का राज क्या है? पिताजी हैरानी से कहते हैं इतनी छोटी सी उम्र में यह सवाल, मैं शायद ही इसका सही जवाब दे पाऊंगा। लेकिन एक ऐसा व्यक्ति हैं जो तुम्हें इस प्रश्न का उत्तर दे सकता है।

वह कौन है? पिताजी मुझे जल्दी बताओ। वह कहां मिलेगा?

     पिता जी कहते हैं। वंहा दूर एक पहाड़ी है जँहा बहुत ही खूबसूरत जगह है। ऊपर एक महल मिलेगा, जिसमें एक महान बुद्धिमान पुरुष रहते हैं। वे तुम्हें सभी सवालों का जवाब दे सकते हैं। पिता जी मैं वहां जाना चाहता हूं। वह बच्चा अगले ही दिन अपनी सभी समान पकड़कर, टिफिन पैक कर वहां जाने के लिए निकल पड़ा।

     दो-तीन दिनों की कड़ी परिश्रम के बाद वे लड़का उस पहाड़ पर पहुंच गया। लड़का वहां का दृश्य देखकर खयालों में ही खो गया। वह जगह बहुत ही खूबसूरत थी। वह लड़का सोचता हैं, "पहले मैं जिस काम के लिए आया हूं उसे पूरा कर लेता हूं।" वहीं पास के बगीचे में एक व्यक्ति काम कर रहा होता है। लड़का उससे बुद्धिमान व्यक्ति के बारे में पूछता है। वह व्यक्ति लड़के को बताते हैं कि उधर एक महल है तुम्हें वहीं पर बुद्धिमान व्यक्ति मिलेगा। वह लड़का अपनी मंजिल को ढूंढते हुए आगे की ओर बढ़ता जाता है।  

     आखिरकार वह लड़का महल तक पहुँच हि जाता है। वहां पहले से कई सारे लोग मौजूद होते हैं। जो बाबा जी से सवाल कर रहे होते हैं। वे लड़का अंदर का दृश्य देख मनमोहित हो जाते हैं। फूलों की सजावट, तरह-तरह के पकवान और उस महल की मधुर सुगंध मन को विचलित कर उठता है। कड़ी मशक्कत के बाद (लगभग 3 से 4 घंटे बाद) उस लड़के का नंबर आया। लड़के बाबा जी से अपना सवाल प्रस्तुत करते हैं।

     बाबा जी आप को मेरा सादर प्रणाम, मेरा सवाल यह है कि, व्यक्ति की खुश रहने का राज क्या है? वह बाबाजी बड़ी प्रसन्नता से कहते हैं। बेटा इतनी छोटी सी उम्र में इतना बड़ा सवाल तुम बहुत प्रभावशाली लग रहे हो। इस सवाल का जवाब मैं तुम्हें तभी दूंगा जब तुम मेरे द्वारा दिए कार्य को पूरा कर लोगे। बाबाजी वह कार्य क्या है? मुझे जल्दी बताओ। बेटा धैर्य रखो। दरअसल तुम्हें इस महल को घूम कर अच्छी तरह से देखना होगा। यहां की खूबसूरत बगाने, विशाल पुस्तकालय, पेंटिंग और भी बहुत कुछ। लेकिन तुम एक चम्मच को पकड़े रहोगे जिसमें दो बूंद तेल होगा। लेकिन याद रहे पूरे महल घूमने तक इस चम्मच से एक भी बूंद तेल नीचे नहीं गिरना चाहिए।

     लड़का महल की भ्रमण के लिए निकल पड़ा। महल में बहुत ही घुमावदार जगह थी। उनका पूरा ध्यान उस चम्मच पर ही था। कि कहीं एक भी बूंद तेल नीचे ना गिर जाए। पूरे महल को घूमने के बाद फिर से वह लड़का बाबा जी के पास आ जाता है। बाबा जी मैंने आपका पूरा महल घूम लिया है। अब तो बताइए खुश रहने का राज क्या है? बाबा जी कहते हैं। तुमने वो बगीचे देखा कितनी खूबसूरत हैं। और वे फुल पूरे वातावरण को सुगंधित कर दिया है। इसे मैं 10 सालो के कड़ी परिश्रम के पश्चात बना पाया हूँ।

     तुमने वह भव्य पेंटिंग देखी जो आंखों को चकाचौंध कर दें। और वो विशाल पुस्तकालय देखा जिनमें बहुत सारे अनमोल किताबें हैं। यदि कोई उन किताबों को पढ़ लो तो इस संसार में ऐसा कोई भी सवाल नहीं है जिसका जवाब उसे पता ना हो। लड़का बोला क्षमा करें बाबा जी मैंने महल को ठीक से देख नहीं पाया मेरा पूरा ध्यान इस चम्मच पर था कि कहीं तेल की बूंद नीचे गिर ना जाए। बाबा जी कहते हैं बेटा तुम फिर से एक बार महल को घूम आओ। इस बार महल को तुम अच्छी तरह से देखना। 

     लड़का एक बार फिर से  महल को अच्छी तरह से घूम कर वापस आ गया। बाबा जी द्वारा पूछे जाने पर सभी सवालों का जवाब देने लगा। फिर बाबा जी पूछते हैं वह चम्मच कहां गया जिसमें तेल की बूंदे थी। लड़का कहते है - बाबा जी महल इतनी खूबसूरत था। मैं तो बिल्कुल ही आकर्षित हो गया था। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मुझसे चम्मच से वे दो बूंद तेल नीचे गिर गया।  देखो बेटा जब मैंने तुम्हें पहले महल देखने के लिए भेजा। तब तुम्हारा पूरा ध्यान उस चम्मच पर था तुम महल की खूबसूरती को देख नहीं पाए। और जब दूसरी बार भेजा तो तुमने महल की  खूबसूरती को निखारा, देखा, परखा और आनंद लिया। लेकिन तुम उस चम्मच को भूल गए। अपनी बेस को भूल गए।

     खुश रहने का राज यह है कि तुम जो भी करो कितनी भी खूबसूरत चीजें दिखो अपनी बेस को कभी ना भूलना।  जो व्यक्ति अपनी जड़ के साथ साथ, संस्कारों के साथ साथ आगे बढ़ते हैं, वह कभी दुखी नहीं होते और हमेशा खुश रहते हैं। वे सफलता की ऊंचाइयों को छूते हैं। उस लड़के को अपनी सवाल का जवाब मिल गया। और वे खुशी-खुशी अपने घर चला गया।

     दोस्तों हमें भी उस बाबाजी के सिखाएं हुए रास्तों पर चलना है। सच में खुश रहने का राज यही है कि हम अपने संस्कारों को (अपनी जड़ को ) बिना भुलाए आगे बढ़े, आधुनिक जीवन का आनंद लें। सफलता आपकी कदमों को चूमेगी। यह कहानी आपको कैसी लगी हो हमें कमेंट जरूर करें। 

3.  How to control your anger (गुस्सा को कंट्रोल कैसे करें ) short motivation story hindi.

अपने गुस्से को कण्ट्रोल कैसे करें

     एक छोटी सी लड़की थी। उसको गुस्सा बहुत ज्यादा आती थी। वह लड़की अपने माता-पिता पर बहुत ज्यादा गुस्सा करती थी। कभी-कभी तो सामान उठाकर पटक देती थी। उनकी मां भी बहुत परेशान हो गई थी। माँ ने ट्यूशन टीचर से इस बारे में बात की, क्योंकि लड़की सिर्फ ट्यूशन टीचर की ही बात सुनती थी। टीचर ने माँ को सांत्वना दी। "आप बिल्कुल भी चिंता ना करें आपकी बेटी कुछ ही दिनों में शांत हो जाएगी।" मां के पास और भी कोई उपाय नहीं थी। इसलिए वह वंहा से चली गई।

अब खेल यहां से शुरू होते हैं 

     सभी बच्चे ट्यूशन पढ़ने के लिए टीचर की घर में इकट्ठे हो जाते हैं। टीचर सभी बच्चों से कहती हैं। बच्चों आज हम लोग पढ़ाई नहीं करेंगे आज से हम एक खेल शुरू करने जा रहे हैं। ट्यूशन टीचर उस लड़की के पास जाकर कहती है। बेटा जब भी तुम्हें गुस्सा आए तुम दीवार पर एक कील ठोक देना। जो भी इस खेल को पूरा करेगा उसे अंत में इनाम मिलेगा। लड़की खुश हो गई। अब जब भी वे गुस्सा होती दीवार पर एक कील ठोक देती थी। पहले दिन उन्होंने 10 की ठोक डाली क्योंकि उसे गुस्सा बहुत ज्यादा आती थी। इसी तरह वे कुछ दिनों तक कील ठोकती ही रही।  अब लड़की को लगा इतनी बार कील को ठोकने के लिए बार-बार मैं वहां जाती हूं। इतने समय में तो मैं अपने गुस्से को कंट्रोल कर सकती हूं। उस लड़की मे धीरे-धीरे बदलाव शुरू हुआ। उसने अगले दिन 5 कील ठोकी फिर 4  कील फिर 3 कील फिर दो किल फिर एक कील एक दिन ऐसा भी आया, कि उन्होंने किल ठोकी ही नहीं, क्योंकि वह पूरे दिन अपने गुस्से को कंट्रोल कर ली थी।

     अब लड़की दौड़ते हुए अपने टीचर के पास जाती हैं और उन्हें बताती हैं, कि उन्होंने आज एक भी कील नहीं ठोंकी हैं। उन्हें गुस्सा भी बिल्कुल नहीं आई है। टीचर उसे सबासी देती हैं और उसे इनाम भी देती है। और कहती हैं।  बेटा खेल अभी खत्म नहीं हुई है। अब तुम्हें जब भी गुस्सा ना आए तुम एक कील इन दीवारों से हटा देना। लड़की ने ऐसा ही किया। क्योंकि कील बहुत ज्यादा थी इसलिए उन्हें महीने भर से भी ज्यादा दिन लग गए कील को हटाने में। फिर से लड़की ने टीचर को अपने पास बुलाई और बोली देखो मैम मैंने सारा कील निकाल दिया है। टीचर बहुत प्रसन्न होती हैं।

टीचर :- तुम्हें इस दीवार पर कुछ दिखाई दे रही है? उस लड़की से प्रश्न पूछती है।

लड़की :- नहीं मैम

टीचर :- ध्यान से देखो। क्या दिखाई दे रही है?

लड़की :- मैंने जो कील ठोकी थी उसका  निशान दिखाई दे रही है।

     तब फीचर लड़की को समझाती है। देखो बेटा तुम जब भी किसी पर गुस्सा करती हो, तो उसके दिल पर चोट लगती है, तुम लाख बार माफी मांग लो उसके दिल में लगे चोट तो मीठा नहीं सकती। अब लड़की को समझ में आ गई थी। वे भागते हुए अपनी मां के पास गई और उनसे लिपट गई। और रूआसी आवाज में कहती हैं। 'मां' अब मैं कभी भी गुस्सा नहीं करूंगी। 

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