छोटी कहानी with moral चूहे और शेर की। किसी को छोटा ना समझे।
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एक घने जंगल में किसी वृक्ष के नीचे एक शेर बड़े ही आराम से गहरी नींद ले रहे थे। तभी एक चूहा वहां आता है और शेर को सोते हुए देख वहां उछल कूद मचाना शुरू कर देता है। चूहा शेर के ऊपर चढ़कर जैसे ही उछलने लगता है, शेर तुरंत ही चूहे को पकड़ लेता है।
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चूहा शेर से कहता है :- "क्षमा महाराज" मुझसे गलती हो गई, जब कभी आपको किसी चीज के लिए मदद की जरूरत पड़ेगी, तो मैं अवश्य ही आपकी मदद करूंगा। शेर ठहाके लगाकर हंसते हुए कहते हैं :- "मैं बहुत ही शक्तिशाली हूं, मुझे किसी की मदद की जरूरत नहीं है" बड़े दिनों बाद तुम्हारी वजह से इतना हंसा हूं, इसलिए आज तुम्हें मैं क्षमा कर देता हूं।
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कुछ दिन बाद शेर एक शिकारी के द्वारा बिछाए गए जाल में फस जाता है। चूहा वहीं से जा रहा होता है। अचानक शेर को जाल में फंसा हुआ देखकर पुरानी बातें याद आ जाती हैं, इसलिए अपनी किए हुए वादे के अनुसार चूहे ने अपने नुकीले दांतों से जाल को कुतरना शुरू कर दिया। जल्द ही शेर उस जाल से स्वतंत्र हो गया।
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शेर की समझ में आ चुका था कि कोई भी प्राणी को छोटा नहीं समझना चाहिए। वे दोनों एक दूसरे को धन्यवाद बोलकर दोस्ती का हाथ बढ़ा लिया और मिलजुल कर रहने लगा। मुझे लगता है कि अब आप भी समझ गए होंगे।
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