ईमानदार लकड़हारा की सुनहरी कुल्हाड़ी। best moral story telling forkids

   ईमानदार लकड़हारा की सुनहरी कुल्हाड़ी। best moral story telling forkids

ईमानदार लकड़हारा की सुनहरी कुल्हाड़ी। best moral story telling forkids

ईमानदार लकड़हारा की सुनहरी कुल्हाड़ी। best moral story telling forkids

     बच्चों आज हम ईमानदार लकड़हारा की सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी बताने जा रहे हैं। ईमानदार लकड़हारा की सुनहरी कुल्हाड़ी की कहानी अंत तक जरूर पढ़ें। 

     एक गांव में एक ईमानदार लकड़हारा रहता था उनका और उनके परिवार का जीवन लकड़ी की धंधे से चलता था।  लकड़हारा बहुत ही सीधा साधा और ईमानदार व्यक्ति था। लकड़हारा की ईमानदारी का परिचय उनके जीवन के एक छोटी सी घटना से पता चलता है। तो चलने देते हैं :-

     दरअसल ईमानदार लकड़हारा प्रतिदिन लकड़ी काटने के लिए जंगल जाया करता था। एक दिन लकड़हारा नदी किनारे वाले पेड़ पर चढ़कर टहनियां काट रहे थे। अचानक उनके हाथ से कुल्हाड़ी छूट जाती हैं और नदी में गिर जाता है। ईमानदार लकड़हारा कुल्हाड़ी को ढूंढने की बहुत कोशिश करता है, लेकिन वह कुल्हाड़ी ढूंढने में असफल हो जाता है। लकड़हारा दुखी होकर वहीं पर बैठकर दुःखी मन से भगवान से प्रार्थना करता है। हे भगवान! कृपया मेरी कुल्हाड़ी खो गई है उसे ढूंढने में मेरी मदद कीजिए। नदी देवता उनकी प्रार्थना को सुनकर प्रकट हुआ। नदी देव को ईमानदार लकड़हारा सारी घटना बता दी। नदी देव कुछ क्षण के लिए गायब हो गया। और जब प्रकट हुए तो उनके हाथ में सुनहरी कुल्हाड़ी थे। लकड़हारे से कहा :-  क्या यह सुनहरी कुल्हाड़ी आपकी हैं?

लकड़हारा :- नहीं नदी देव, लगता है यह किसी अमीर व्यक्ति की होगी। आप उसे लौटा दीजिएगा। नदी देव कुछ क्षण के लिए गायब हो गया। और जब प्रकट हुए तो उनके हाथ में चांदी की कुल्हाड़ी थी। फिर से नदी देव बोले :-  हे वत्स तो फिर क्या यह कुल्हाड़ी आपकी है ? 

लकड़हारा :-  यह कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है नदी देव, लेकिन जिनकी भी हो आप उसे लौटा दीजियेगा जरूर। इस बार नदी देव विलम्ब से प्रकट हुआ। उनके हाथ में लोहे का कुल्हाड़ी था। उसे देख ईमानदार लकड़हारा बोला :-  ऐसा प्रतीत होता है कि यह कुल्हाड़ी मेरी ही कुल्हाड़ी जैसी दिख रहा है, यह कुल्हाड़ी मुझे दे दीजिए। नदी देव  लकड़हारा की ईमानदारी से बहुत प्रसन्न हुआ। नदी देव ने लकड़हारे को उनकी कुल्हाड़ी के साथ साथ बाकी के दोनों  कुल्हाड़ी को भी उपहार स्वरूप दे दिया।  

शिक्षा :- चाहता तो लकड़हारा सुनहरी कुल्हाड़ी  या फिर चांदी की कुल्हाड़ी लालच बस ले सकता था। किंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया उन्होंने उस समय उस स्थान पर अपनी ईमानदारी दिखाई, उसका फल उसे अंत में जरूर मिला। आप भी ईमानदार बने। और हमारे साथ बने रहे The Motivational Words में। 

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