New kahaniyan part 1 लालच बुरी बला है लघु कहानी। bacchon ki kahaniyan.
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दोस्तों आज की हमारी new kahaniyan लालच बुरी बला है लघु कहानी है। यह एक bacchon ki kahaniyan है। वैसे तो आपने लालच बुरी बला है की अनेक kahaniyan सुने होंगे। किंतु मेरा आज का यह new kahaniyan लालच बुरी बला है बहुत ही मजेदार होने वाला है। आशा करता हूं यह new kahaniyan, bacchon ki kahaniyan अंत तक अवश्य पड़ेंगे।
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हिंदी लघु new kahaniyan लालच का क्या परिणाम हो सकता है? इस कहानी से सीखे :-
दोस्तों आप जानते ही होंगे कि लालच करने वालों का परिणाम बहुत ही बुरा होता है फिर भी इस हिंदी लघु कहानी के माध्यम से लालच के विषय में एक छोटी सी कहानी लेकर आया हूं।
बात उन दिनों की है, जब एक धर्म प्रिय व्यक्ति और लालची व्यक्ति के मध्य मित्रता थी। गांव वाले दोनों के चरित्र से काफी परिचित थे। फिर भी ऐसा एक दिन भी नहीं आया था, कि इन दोनों के मध्य मनमुटाव बने। दोनों अधिकतर समय सांथ सांथ ही बिताते थे।
आखिरकार लालची व्यक्ति का लालच बाहर आ ही गया :-
एक दिन लालची व्यक्ति अपना 40 रुपए कंही खो दिया था। वह बहुत परेशान था। अपनी परेशानी को बांटने अपने मित्र के पास गया था। उसका मित्र उसे दिलासा देकर घर वापस भेज देता है। धर्मप्रिय व्यक्ति की एक बेटी थी। वे रास्ते में आ हि रही थी कि अचानक उसे रास्ते मे 40 रुपए मिल जाती है।
वह पैसों को लेकर अपने पिताजी के पास गई। पैसे अपने पिता को देती हुई कहती हैं :- पिताजी मुझे रास्ते में यह 40 रुपए मिली है।
धर्मप्रिय व्यक्ति पैसों को लेकर अपने मित्र के पास चला जाता है। जब धर्मप्रिय व्यक्ति लालची व्यक्ति को 40 रुपए देता है और कहता है :- प्रिय मित्र यह लीजिये आपका 40 रूपये, रास्ते में आती हुई मेरी बेटी को मिली है।
तभी लालची व्यक्ति पैसों को देखकर उसका लालच जागृत हो जाता है। वह कह उठा :- अरे मित्र! मैंने तो 50 रूपये खो दिया था। बाकी की 10 रुपए भी मुझे दो।
धर्मप्रिय व्यक्ति कहता है :- यह आप क्या कह रहे हैं? मेरी बेटी को सिर्फ 40 रूपये मिले हैं, यदि 50 रूपये मिली होती तो मुझे अवश्य देंती। और यदि 10 रूपये रखा भी होता, तो मैं यह 40 रूपये तुम्हें क्यों देता?
पंचायत का फैसला :-
लालची व्यक्ति इस बात को लेकर पंचायत चला गया। अपना बनावटी दुःखी चेहरा बनाकर धर्मप्रिय व्यक्ति और उनकी बेटी पर इल्जाम लगाने लगा। इधर धर्मप्रिय व्यक्ति भी अपनी बात रखा।
मुखिया को लालची व्यक्ति की चाल समझ में आ गया था। मुखिया अपना फैसला सुनाता है। और कहता है :- यदि तुमने अपना 50 रूपये खोए हैं, लेकिन यह लड़की ने सिर्फ 40 रुपए पाई हैं। अतः यह पैसे भी तुम्हारा नहीं हुआ। यह 40 रूपये जिस किसी का भी हो, इस लड़की से ले सकते हैं। और किसी को भी यदि 50 रूपये मिलते हैं, तो वह पैसा इस व्यक्ति दे दिया जाएगा।
लालची व्यक्ति का 40 रूपये तो गया :-
लालची व्यक्ति अपनी 40 रुपए को जाते हुए देख माथा पकड़ लेता है। वह धर्म प्रिय व्यक्ति से भी माफी मांगते हैं। और अपना झूठ कबूल कर लेता है। वह व्यक्ति अपना 40 रूपये मांगने लगता है। लेकिन मुखिया उसको वह पैसा भी वापस नहीं दिलाता है।
निष्कर्ष :-
दोस्तों आपने देखा, कि किस प्रकार लालची व्यक्ति के खोए हुए रूपये उसे वापस तो मिल जाते हैं, लेकिन वे अपने लालच के कारण वह 40 भी गंवा बैठते हैं। हमें जीवन में असली सीख यही लेनी चाहिए कि, हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए वरना उसका परिणाम क्या होता है? वह अभी नहीं तो कभी न कभी अवश्य पता चल जाएगा।
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