शरारती मूर्ख बन्दर और बढ़ई की कहानी बिना सोचे समझे कुछ भी कार्य ना करें। short moral story in hindi
शरारती मूर्ख बन्दर और बढ़ई की कहानी बिना सोचे समझे कुछ भी कार्य ना करें। short moral story in hindi
शरारती मूर्ख बन्दर और बढ़ई की कहानी बिना सोचे समझे कुछ भी कार्य ना करें। short moral story in hindi
दोस्तों अच्छे से जांचे परखे या बिना सोचे समझे कुछ भी खाने को नहीं करना चाहिए वरना उसका अंजाम कितना घातक होता है इस कहानी से समझे :-
एक जंगल के पास ही कुछ बढ़ई लकड़ी को चीरने का काम कर रहे थे। कुछ बंदर भोजन की तलाश में एक झुंड में वहीं पर पहुंच गया। तथा वहीं के आसपास के पेड़ों में उछल कूद मचाने लगा। इन सभी बंदरों में एक बंदर बहुत ही ज्यादा शरारती था। कुछ देर बाद काफी धूप निकल आया। बढ़ई के दोपहर भोजन का समय हो गया था। सभी भोजन करने के लिए चला गया। लेकिन एक बढ़ई, लड़की को अधूरा ही चीरा था। कहीं दोनों फाली चिपक ना जाए, इसलिए उन्होंने बीच में एक कील को छोड़ दिया। और वह भी भोजन करने के लिए चला गया।
बंदरों के झुंड से शरारती बंदर निकलकर उसी स्थान पर पहुंच गया जहां बढ़ई का कार्य चल रहा था। उस स्थान पर दूर-दूर तक कोई मौजूद नहीं था। शरारती बंदर वहां उछल कूद करने लगा। वहां मौजूद बढ़ई के सामानो के सांथ खेलने लगा। लेकिन अचानक उसे बढ़ई द्वारा छोड़े हुए अधूरे कार्य वाला लट्ठा दिखा जिसके बीच में कील लगा हुआ था। शरारती बंदर वहां पहुंचकर उस कील को निकालने की कोशिश कर रहा था। शरारती बंदर अत्यधिक जोर से उस कील को निकाल पाने में सफल हो गया। लेकिन उसका पूछ लकड़ी के दोनों फाली के बीच में चिपक गया।
शरारती बंदर बिना सोचे समझे उस कार्य को करता है, जिसे नहीं करना चाहिए था। फिर क्या, बंदर करहाते रहे और जोर-जोर से चिल्लाने लगे। लेकिन दूर दूर तक वहां कोई मौजूद नहीं था, अतः कुछ देर बाद ही उसने वहीं दम तोड़ दिया।
दोस्तों हर कार्य सोच समझकर ही करना चाहिए बिना सोचे समझे कार्य करने से क्या हाल होता है आप उक्त कहानी से समझ गए ही होंगे
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