चिड़िया ने गांव में लगी आग बुझाई, एक चिड़िया की कहानी
चिड़िया ने गांव में लगी आग बुझाई, एक चिड़िया की कहानी
एक गांव की एक बस्ती में आग लग गया था। सभी बस्ती के लोग इधर-उधर भागने लगे, लेकिन कोई भी उस आग को बुझाने के बारे में सोचा भी नहीं। अपनी जान बचाकर वहां से दूर भागने लगे। पास में ही एक पेड़ पर चिड़िया का घोंसला था। आग उस पेड़ तक पहुंच सकती थी। वह चिड़िया आग को बुझाने के लिए अपने चोच में पानी लाती और झोपड़ी में लगी आग में डाल देती थी। ऐसा चिड़िया बार-बार प्रयत्न करती रही।
गांव वालों की नजर जब उस चिड़िया पर पड़ी। सभी एक दूसरे से कहने लगे। जब यह अकेली चिड़िया हमारी झोपड़ी को बचाने के लिए इतना कुछ कर रही हैं और हम बेवजह इधर उधर भाग रहे हैं इससे अच्छा हम भी अपनी झोपड़ी को बचाने के लिए प्रयत्न करें। दूसरे लोगों ने भी हामी भरना शुरू कर दिया। हां हां चलो चलते हैं। कुछ समय पश्चात आप ठंडा हो गया।
वहीं पास में ही मौजूद एक पेड़ पर कौवा बैठा था। इस घटनाक्रम को देख रहा था। कौवे ने चिड़िया से पूछा :- तुम व्यर्थ ही उस बस्ती में लगी आग को बुझाने की प्रयत्न कर रही थी। जब तुम जानती थी कि तुम्हारी अकेले प्रयास करने से आग बुझेगी नहीं, तो फिर क्यों गई थी?
चिड़िया ने जवाब में बहुत ही प्यारी बात कही :- भले ही मेरी अकेले करने से ज्यादा कुछ फर्क नहीं पड़ती, फिर भी जब भी इस आग को बुझाने वालों की चर्चा होगी उनमें से एक मैं भी होंगी। मेरी नाम भी इस आग बुझाने वालों के लिस्ट में पहले नंबर पर होगी तुम जैसे तमाशा देखने वालों में नहीं।
आशा करता हूं यह कहानी आपको समझ में आया होगा। यह छोटी सी कहानी हमें बहुत कुछ सिखाती हैं। आपको इस कहानी में सबसे बढ़िया बात क्या लगा हमें कमेंट अवश्य करें।
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