Top 5 hindi kahaniyan tenali raman ki, best top 5 hindi kahaniyan by Motivationalwords

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दोस्तों आज की हमारी hindi kahaniyan :- Top 5 hindi kahaniyan tenali raman ki, best top 5 hindi kahaniyan by Motivationalwords होने वाली है।

इस hindi kahaniyan मे आपको tenali raman ki 5 सर्वश्रेष्ठ hindi kahaniyan पढ़ने को मिलेगी जो कि बहुत ही मजेदार होने वाली है। tenali raman जिसकी बुध्दि बहुत तीव्र थे। उस समय तेनाली tenali raman ki चतुराई विजयनगर राज्य में फैला हुआ था। राजा भी tenali raman ki चतुराई से बहुत ही प्रभावित थे। इसीलिए उन्होंने तो tenali raman को विजयनगर राज्य का विशेष सलाहकार बनाया था। 

आज के समय में बच्चे tenali raman ki चतुराई के kahaniyan सुनना बहुत पसंद करते हैं। अतः आज मैं ऐसी ही Top 5 hindi kahaniyan tenali raman ki, best top 5 hindi kahaniyan by Motivationalwords को लेकर आया हूं। जो कि बहुत ही हास्य प्रद होने वाली है। अतः आप अंत तक बने रहे। 

1. आखिर कैसे पकड़ा? वो भी एक कुंआ चोर को। तेनाली रमन की मजेदार कहानियाँ। tenali raman ki kahaniyan
2. कैसे तेनाली रमन अपने राज्य के राजा कृष्णदेव राय की बगीचे से बैगन चुरा कर सजा पाने से बच गया। tenali raman ki kahaniyan
3. सबसे कीमती उपहार तेनाली रमन ने कैसे लिया जानिए इस कहानी से Kahaniyan acchi acchi tenali raman ki
4. क्यों तेनाली रमन ने सुब्बाशास्त्री नामक ब्राह्मण का मजाक उड़ाया जानिए इस कहानी से tenali raman ki मजेदार कहानी।
5. तेनाली रमन ने राजा कृष्णदेव राय का घमंड कैसे तोड़ा जानिए इस कहानी से tenali raman ki मजेदार कहानियाँ।

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Top 5 hindi kahaniyan
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1. आखिर कैसे पकड़ा? वो भी एक कुंआ चोर को। तेनाली रमन की मजेदार कहानियाँ। tenali raman ki kahaniyan

यह बात उस समय की है जब विजयनगर राज्य में गर्मी के कारण पानी की कमी होने लगी थी। राजा कृष्णदेव राय अत्यधिक चिंता में रहने लगे। उन्होंने फौरन ही एक सभा बुलाई जिसमें पानी के विषय में चर्चा हुआ। खूब विचार-विमर्श के बाद राजा कृष्णदेव राय ने, अपने मंत्री को बहुत सारे धन दिए ताकि वह बहुत सारे कुंए का गांव में निर्माण करवा सके। 

Tenali raman or kunaa chor
Tenali raman ki kahaniyan

मंत्री ने यह काम बड़ा जोरो-शोरों से किया और कुएं के बन जाने के बाद राजा को खबर दी। राजा भी कुए की निरीक्षण के लिए गया। उन्होंने देखा, कि कुआं एकदम कुशल पूर्वक बना हुआ था। तथा उनमें लबालब पानी भरा हुआ भी था। राजा मंत्री को शाबाशी देकर राज्य वापस आ गया।

कुछ दिन बाद कुछ लोग उस राज्य में पहुंचे। जो राजा से मिलने के लिए दरबार में जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मंत्री तथा उनके सिपाही उन्हें अंदर जाने से रोक रहे थे। वे सभी इस बात से परेशान होकर तेनाली रमन के पास गया और अपनी परेशानी बताई।

गांव वालों ने बताया :- हमारे गांव में पानी की बहुत ही समस्या है। हम पानी के लिए तरस रहे हैं। कृपया आप इस विषय मे राजा से बात करें। जब हम महल मे जा रहे थे तब मंत्री और उसके सिपाही गण हमें अंदर जाने से रोक दिया।

तेनाली रमन उन सभी को आश्वासन देते हैं की वह राज्य से इस बारे में बात करेगा।

अगले दिन सभा में जब सभी लोग बैठे थे, तभी तेनाली रमन ने राजा से कहा :- महाराज! आपने जो गांवो मे कुआँ बनवाए थे उनकी चोरी हो गई है। किसी ने कुएं को चुरा लिए हैं।

राजा बोले :- यह आप क्या बोल रहे हो तेनाली रमन? भला कुए की चोरी कैसे हो सकती हैं। और कौन चुरा सकते हैं?

रमन :- मैं सत्य कह रहा हूं महाराज। कुंए की चोरी हो गई है। आप चाहे तो गांव वाले से भी बात कर सकते हैं। वह बाहर ही खड़े हैं।

राजा ने गांव वालों को दरबार में बुलाया। उनसे पूछते हैं।

सब गांव वाले बताते हैं :- महाराज हमारे गांव में कुंए की चोरी हो गई है। तथा पानी की समस्या हो रही है। कृपया इसकी निवारण करें।

राजा, तेनाली रमन और मंत्री गण गांव वालों के साथ उनके यहां निरीक्षण के लिए चले गए। जब राजा वहां पहुंचे। उन्होंने देखा कि वहां कुआँ का तो नामोनिशान ही नहीं है।

राजा समझ गए थे, कि यह मंत्री गण का ही काम है। अर्थात कुआं चोरी नहीं हुआ है, बल्कि मंत्री ने गद्दारी की है। वह केवल आस-पास के गांव में ही अच्छा कुएं का निर्माण कर बाकी के धन अपने जेब में रख लिया। और दूर वाले गांव को कुआँ से वंचित रखा।

राजा मंत्री को दंड स्वरूप कहते हैं :- तुम अपने धन से सभी गांव में सौ कुंए का निर्माण करोगे। तेनाली रमन की देखरेख में यह कार्य बहुत जल्द ही संपन्न हो गया। और सभी गांव वाली तेनाली रामा को धन्यवाद बोले।

यह रहा तेनालीराम की चतुराई यह कहानी आपको कैसा लगा हमें अवश्य बताएं।

2. कैसे तेनाली रमन अपने राज्य के राजा कृष्णदेव राय की बगीचे से बैगन चुरा कर सजा पाने से बच गया। tenali raman ki kahaniyan

   राजा कृष्णदेव राय अपनी बगीचे में टहलने के लिए गए थे। उन्होंने देखा कि उनका बगीचा बहुत ही सुंदर दिख रहा है। खूब सारे पुष्प लगे हुए हैं। पेड़ पौधे हरे भरे बहुत ही सुंदर दिख रहे थे। उनमें एक खास बात यह थी कि वहां पर एक बहुत बड़ा बैगन का पेड़ था। उनमें खूब सारी। बैगन की सब्जी लगा हुआ था राजा सोचने लगा। "क्यों ना मैं सभी को इस बैगन का स्वाद चखाने भोजन के लिए आमंत्रित करूं।"
Tenali raman ki kahaniyan
Tenali raman ki kahaniyan

   अगले दिन राजा ने ऐसा ही किया। सभी मंत्री गण, तेनाली रमन और उनके दरबार के अधिकारी लोग भोजन करने लगे पहुंचा। सभी में सबसे स्वादिष्ट सब्जी बैगन की सब्जी थी। तेनाली रामा को भी यह सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट लगा।

  तेनाली रमन घर जाकर यह बात अपनी पत्नी को बताया। उनकी पत्नी को यह बात पता चलते ही उनकी भी इच्छा होने लगी कि वह भी उस बैगन की सब्जी का स्वाद चखे। 

  रमन से कहने लगी :- आप बगीचे से 3 से 4 बैगन लाना मैं भी इसका स्वाद चखना चाहती हूं। 

  तेनाली रमन कहने लगा :- नहीं-नहीं, राजा को इस बारे में पता चलेगा, तो वह मुझे बहुत बड़ा दंड देगा। 

  लेकिन उसकी पत्नी नहीं मानी, वह जिद पर अड़ गई। "बस मुझे बैगन की स्वाद चखना है तो चखना है।" अब बेचारा करता भी तो क्या करता। मान गया बैगन लाने के लिए।

   उन्होंने रात को ही किसी तरह छुपते छुपाते 3 से 4 बैगन तोड़ लाएं तथा अपनी पत्नी को उनका स्वाद चखा ही दिया।

 उनकी पत्नी कहने लगी :- इतना स्वादिष्ट बैगन तो मैंने अपनी पूरी जिंदगी में नहीं खाई है। क्यों ना हम इसकी स्वाद अपने बेटे को भी चढ़ाएं? तुम कृपया कल और बैंगन ले आना। 

  तेनाली रामा कहने लगे :- इस बार तो तुम मुझे अवश्य ही फंसाओगी। यदि मेरा बेटा सभी को बता देगा तो। कि उसने बैगन की सब्जी खाई है। मुझे बहुत बड़ा दंड मिलेगा।इस बार भी उसकी पत्नी नहीं मानी। 

  अगले दिन रात को तेनाली रमन कुछ और बैगन तोड़ कर ला लिए। लेकिन इस बार उन्होंने एक योजना बनाया। जब उसके बेटे छत पर सो रहे थे, तभी वे एक बाल्टी पानी लेकर उसके सर पर मार दिया और कहने लगे घर के अंदर चलो वर्षा बड़ा जोरों से हो रहे है। उसका बेटा नीचे कमरे में चला आया तथा कपड़ा सुखाने लगा।

    जब पूरा कपड़ा सूख गया तब तेनाली रमन ने उसे बैगन का स्वाद चखा दिया। उसके बेटा भी इतना स्वादिष्ट बैगन खाकर बहुत ही खुश हुआ। 

   अगले दिन दरबार लगा। उसमें बगीचे के माली ने राजा से शिकायत किया। "महराज बगीचे से कुछ बैगन गायब हो गए हैं, मुझे लगता है किसी ने बैगन को चुरा लिए हैं।"

   तभी तेनाली रामा की विरोधी व्यक्ति कहते हैं :- महाराज यह कार्य किसी चतुर व्यक्ति ही कर सकता है। मुझे लगता है, कि यह कार्य अवश्य ही तेनाली रमन ने किया होगा। उनसे भला चतुर व्यक्ति कौन हो सकता है? 

   राजा इस बात की पुष्टि करने के लिए, कि आखिर चोर कौन हैं? तेनाली रमन और उसके बेटे को भी बुला लिया। क्योंकि बच्चा तो नादान होता है, उसे थोड़ा बहुत डरा धमका कर पूछने पर बता देता है। यह सोच राजा तेनाली रामा के बेटा से डरा कर पूछा :- बेटा कल रात तुमने कौन सी सब्जी खाया?

  उसके बेटे ने कहा :- मैंने तो कल बहुत ही स्वादिष्ट बैगन की सब्जी खाया हूँ । मैंने ऐसी सब्जी जिंदगी में नहीं खाई थी।

   तभी तेनाली रामा बीच में बोल पड़ा :- महाराज! मेरा बेटा कल रात में यही बड़बड़ा रहा था कि मैंने बहुत ही स्वादिष्ट बैगन की सब्जी खाई है और खूब बरसात भी हो रही है। जरा मौसम के बारे में भी तो पूछिए। 

 राजा उसके बेटे से पूछते हैं :- कल रात का मौसम कैसा था बेटा?

  तेनाली रामा का बेटा :- महाराज कल तो बड़ा जोरों से बारिश होने लगी। मैं तो पूरा भीग गया था। सभी लोग समझ गए थे की यह लड़का सपना देख रहा था। क्योंकि कल रात तो वर्षा हुआ हि नहीं था एकदम सूखा था तो बारिश कान्हा से होता। तेनाली रमन जो कह रहा है वह सत्य है। 

   इस तरह तेनाली रमन ने अपनी चतुराई से सजा पाने से बज गया। आशा करता हूं यह कहानी आपको अच्छी लगी होगी।

3. सबसे कीमती उपहार तेनाली रमन ने कैसे लिया जानिए इस कहानी से Kahaniyan acchi acchi tenali raman ki

   तेनाली रमन की कहानी बच्चों में बहुत ही प्रसिद्ध होती हैं। तेनाली रमन की किस्से चतुराई की कहानी तो बहुत ही सुने होंगे। लेकिन आज की हमारी कहानी में चतुराई के साथ साथ आनंद भी आने वाला है। अतः कहानी अंत तक अवश्य पढ़ें। 

Tenali raman ki kahaniyan
Tenali raman ki kahaniyan
  यह बात उस समय की है जब विजयनगर में त्यौहारों का माहौल चल रहा था। सभी प्रजा गण प्रसन्न मन से नाच रहे थे।

 राजा कृष्णदेवराय उदारता से भरे हुआ था। वह अपनी प्रजा को प्रसन्न देख उनकी खुशी में शामिल होना चाहता था। उन्होंने अपनी उदारता पेश कर ही दिया। 

 राजा सोचने लगे।" क्यों ना मैं भी अपनी प्रजा की खुसी मे सम्मिलित हो जाऊं।" 

 महाराज कृष्ण देव राय सोचने लगे। "मैं अपने प्रजा को उपहार देकर उनकी खुशी को दोगुना कर दूंगा।"

 उसी शाम को राजा कृष्णदेव राय ने अपने दरबार में सभी प्रजा गण तथा दरबारियों को आमंत्रित किया। और एक ही स्थान पर बहुमूल्य उपहारों कर ढेर लगा दिया। कहा "तुम सभी अपनी पसंद के अनुसार यहाँँ से उपहार ले सकते हो'

  सभी दरबारी, प्रजागन अपनी पसंद के अनुसार उपहार लेने लगे। तभी वहां तेनाली रमन पहुंच जाता है। सभी को भगदड़ मचाते भीड़ देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है।

 उपहार लेकर आते हुए प्रजा ने तेनालीरामा से कहा। "तुम भी अपना उपहार वहां से ले लो, राजा बहुत ही उदार हैं, वह सभी को अपनी पसंद के अनुसार उपहार लेने के लिए कह रहे हैं। जल्दी जाओ।"

 जब तेनाली रमन उस स्थान पर पहुंचते हैं तब वहां पर सिर्फ खाली चांदी की थाली ही थी। तेनाली रमन उस खाली चांदी की थाली को एक लाल कपड़े से ढक दिया। ऐसा करते हुए देख बाकी के प्रजा गण और राजा आश्चर्यचकित हो गए।

   राजा ने इसके पीछे का कारण पूछा। तेनाली रामा ने उत्तर देते हुए कहा। "महाराज! मैं आपकी प्रतिष्ठा की रक्षा कर रहा हूं।"

   महाराज फिर बोल पड़े :- यह आप क्या कह रहे हो तेनाली रमन, जरा स्पष्ट कीजिए, कैसे मेरी प्रतिष्ठा की रक्षा कर रहे हो?

 तेनाली रमन स्पष्ट करते हुए कहते हैं :- महाराज! यदि मैं इस खाली चांदी की थाली को ऐसी ही ले जाऊंगा, तो रास्ते मे प्रजागन सोचने लगेंगे, की महाराज के पास धन की कमी हो गई है, तभी तो यह खाली चांदी की थाली को ही ला रहा है। अतः मैं इसे लाल कपड़े से ढक रहा हूं। ताकि लगे की अवश्य ही इस थाली में कुछ ना कुछ होगा। जिससे आपकी प्रतिष्ठा भी बना रहेगा। 

 महाराज कहता है :- तुम बहुत ही अच्छा शुभचिंतक हो तेनाली रमन। तुम्हें मेरी प्रतिष्ठा की बहुत चिंता रहती हैं। इससे महाराज बहुत ही अत्यधिक प्रसन्न हुआ। 

  महाराज फिर तेनाली रमन को आदेश देते हैं। "यहां आओ तेनाली रमन"

 तेनाली रमन महाराज की आज्ञा का पालन करते हैं। 

   महाराज ने अपनी गले से बहुमूल्य कीमती हार को उतारकर उस थाली में रख दिया और कहने लगा। "यह लो बहुमूल्य सबसे कीमती उपहार। अब तो थाली खाली नहीं है ना।

   तेनाली रामा बहुत प्रसन्न हुआ। इस प्रकार तेनाली रमन ने एक बार फिर अपनी चतुराई से अपना कुछ ना होते हुए भी बहुत बड़ा कीमती उपहार पा लिया।

4. क्यों तेनाली रमन ने सुब्बाशास्त्री नामक ब्राह्मण का मजाक उड़ाया जानिए इस कहानी से tenali raman ki मजेदार कहानी।

   यह बात उस समय की है जब विजयनगर राज्य में एक सुब्बाशास्त्री नामक ब्राह्मण रहा करता था। वह ब्राम्हण बहुत ही चतुर और चालाक था। वह अपने आप को पूरे राज्य में सबसे ज्ञानी और जानकार व्यक्ति समझते थे। मानो उनके मुकाबले में कोई ना हो। 
Tenali raman ki kahaniyan
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  लेकिन वे तेनाली रमन से बहुत ही ईर्ष्या किया करते थे, क्योंकि तेनाली रमन की प्रसिद्धि भी बढ़ती ही जा रही थी। जिससे सुब्बसास्त्री बहुत ही चिढते थे और समय-समय पर उनकी मजाक उड़ाने में लगे रहते थे। 
  उनको मौका मिलते ही नीचे गिराने की कोशिश करते रहते। तेनाली रमन ने भी बहुत कुछ सह लिया था। लेकिन जब बात आत्म सम्मान की हुई तब उन्होंने सोच लिया कि इससे बदला लेना ही चाहिए। 
   एक दिन राजा कृष्णदेव राय अपनी सैनिकों के लिए फुर्तीला घोड़ा खरीद रहा था। तेनाली नमन के लिए भी घोड़ा खरीदा और तेनाली रमन से कहने लगे :- "देखो तेनाली रमन इस घोड़े का अच्छे से ख्याल रखना।"
   सभी ने अपना-अपना घोड़ा अपने घर ले गया। तेनाली रमन भी घोड़े को घर ले आया तथा इसके लिए एक ऐसा अस्तबल बनाया, जिसमें अंदर आने जाने के लिए कोई दरवाजा ही नहीं था। बस एक छोटी सी खिड़की थी।
   घोड़ा अस्तबल के अंदर ही रहा करता था और इतने में भी तेनाली रमन प्रत्येक 2 दिन में उस खिड़की के पास जाकर चारा दिया करते थे। जिससे घोड़ा अत्यधिक भूखा रहा करते थे। अतः वह चारा पास आते ही अपने मुंह से खींच लेते थे।
 तकरीबन 2 महीने तक ऐसा ही चलता रहा। कुछ दिन बाद महाराज ने सभी सैनिकों को घोड़े के सांथ राजमहल में बुलाया। वे परीक्षण करना चाहते थे की किसका घोड़ा किसकी अच्छे से बात मान रहा है।
  सभी ने अपने घोड़े को राजमहल मे ले आया। लेकिन तेनाली रमन की घोड़े को ना पाकर सुब्बाशास्त्री कहने लगे :- तेनाली रमन कहां है और उसका घोड़ा भी। 
  महाराज ने सैनिकों को आदेश दिया की वह तेनाली रमन और उसके घोड़े को सांथ लेकर आए। तभी तेनाली रमन दौड़ते हांपते हुए राजमहल पहुंचा। 
  तेनाली रमन स्वास धीमी कर महाराज से कहा :- महाराज! मेरा घोड़ा तो मेरा बात ही नहीं मार रहा है। कृपया करके आप ऐसे व्यक्ति को मेरे साथ घोड़े लाने के लिए भेजें जो उसको संभाल सके। 
 सुब्बाशास्त्री महाराज से कहता है :- महाराज! यह किसी आम व्यक्ति की बस की बात नहीं है। अतः मैं ही चला जाता हूं। मैं घोड़े को काबू में करना अच्छी तरह से जानता हूं। यह बात सुन महाराज भी उसे कुछ सैनिकों के साथ जाने के लिए आदेश दे दिया। 
 अब सुब्बाशास्त्री, कुछ सैनिक और तेनाली रमन अपने अस्तबल के पास पहुंच गया। सुब्बाशास्त्री उस खिड़की के पास यह कहते हुए पहुंचा। "तेनाली रमन तुम यहां से दूर रहो यह किसी आम आदमी की बस की बात नहीं है।"
   सुबह शास्त्री जब खिड़की के पास जाता है। घोड़े ने सुब्बाशास्त्री के दाढ़ी को चारा समझकर खींचने लगे। उसे छोड़ने के नाम ही नहीं ले रहे थे। सुब्बाशास्त्री चिल्लाने लगे। तभी सैनिकों ने अस्तबल का दीवार तोड़ा। और वैसे ही घोड़े को महल ले गया।
   जब राजमहल पहुंचा तब सुब्बासस्त्री की स्थिति को देखकर राजमहल में बैठे सभी लोग ठहाके लगाकर हंसने लगे। 
   महाराज कृष्ण देव राय भी समझदार थे। वह समझ गया कि जरूर यह तेनाली रमन की ही चाल है। वे तेनाली रमन को सुब्बाशास्त्री से क्षमा मांगने के लिए कहते हैं।
   तेनाली रमन जैसे ही सुब्बाशास्त्री से क्षमा मांगता उससे पहले ही सुब्बाशास्त्री उनसे छमा मांग लेते हैं। और कहते हैं महाराज यह मेरी ही गलती थी। मैं जब भी मौका मिलता तेनाली रमन को नीचे गिराने की कोशिश करता रहता था। वह तो सब कुछ सहते जाता। इसीलिए यह सब हुआ है। मुझे माफ कर देना। मैं अपने आप को ही श्रेष्ठ समझता था। 
   उस दिन सुब्बाशास्त्री कुछ भी गलत नहीं करूंगा कह कर वहां से चले गए दोस्तों यह कहानी आपको कैसी लगी हमें अवश्य बताएं।

5. तेनाली रमन ने राजा कृष्णदेव राय का घमंड कैसे तोड़ा जानिए इस कहानी से tenali raman ki मजेदार कहानियाँ।

  दोस्तों आज की कहानी में हम जानेंगे कि कैसे तेनाली रमन ने राजा कृष्णदेव राय का घमंड तोड़ा। यह कहानी बहुत ही लोकप्रिय हैं। आशा करता हूं की आप यह कहानी अंत तक पढ़ेंगे। 
Tenali raman ki kahaniyan
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  यह बात उस समय की है जब राजा कृष्णदेव राय की ख्याति बढ़ती ही जा रही थी। वह अपने पराक्रम से आसपास के सभी राज्यों को जीतते जा रहे थे। राजा की पराक्रम से सभी परिचित होने लगे। 

   सभी उनकी प्रसिद्धि का गुणगान करने लगे। इन सभी से राजा के अंदर घमंड आने लगा। वे सोचने लगे "मैं एक सर्वश्रेष्ठ राजा हूं। इस दुनिया में मेरे जैसा राजा कोई नहीं है।" 

  एक दिन तेनाली रमन भी राजा के साथ था।

 राजा तेनाली रमन से कहा :- मेरी ख्याति बढ़ते ही जा रहा हैं। इस दुनिया में मुझसे ज्यादा पराक्रमी राजा और कोई नहीं है। मैं एक श्रेष्ठ राजा बन गया हूं। तुम क्या कहते हो तेनाली रमन? 

   तेनाली रमन विनम्र होकर बोलता है :- महाराज! आप ठीक ही कह रहे हैं, लेकिन आप की श्रेष्ठता समय के अनुसार बदल जाएगी। 

  राजा क्रोधित हो जाता है, यह क्या कह रहे हो तेनाली रमन? जरा स्पष्ट करो नहीं तो तुम्हें बहुत बड़ा दंड दिया जाएगा।

 तेनाली रमन कहता है :- मुझे कुछ दिनों की समय दे दीजिए। मैं इसे सिद्ध करके दिखाऊंगा।

   अब राजा और भी ज्यादा क्रोधित हो जाते हैं फिर भी वह मान जाता है। कुछ दिन गुजर जाने के बाद राजा कृष्णदेव राय इस घटना को भूल जाते हैं और अपने कार्य में लगे रहते हैं। तभी तेनाली रमन राजकीय कार्य से महल मे एक बच्ची के साथ आता है। वह बच्ची बहुत ही प्यारी थी। 

  महारानी बच्ची को देख अपनी गोद में ले लेती है। तथा उसके साथ खेलने लगती है। बीच में महारानी का कपड़ा भी गीला हो जाती हैं। वेश बदलकर फिर से बच्ची के साथ खेलने लगती है। यह दृश्य बहुत ही खुशी से भरा था।

   पूरा दरबार भी इस मनोहर दृश्य को देखकर बहुत ही ज्यादा खुश थे। महाराज भी उस बच्ची को अपनी गोद में ले लेता हैं। वह बच्ची भी महाराज के साथ खेलने लगती हैं। महाराज का मूंछ को खींचने लगती हैं। साथ ही साथ महाराज को घोड़ा बनवा कर सवारी भी करती हैं। 

  महाराज कुछ समय के लिए अपना सारा राजकीय कार्य भूलकर उस बच्ची के साथ खेलता रहता है। पूरा दरबार यह दृश्य देखकर आनंदित हो जाते हैं। फिर राजा को याद आता है, की मैंने तो तेनाली रमन को राजकीय कार्य के लिए बुलाया था। इस बच्ची के साथ कैसे खेल खेल में खो गया पता ही नहीं चला। यही सोचने लगा। 

   तभी राजा ऊंचे स्वर में तेनाली रमन से कहता है। तेनाली रमन मैंने तो तुम्हें राजकीय कार्य के लिए बुलाया था। तुम किसकी बच्ची को उठा लाए, इससे मैं भी अपना कार्य भूल गया।

 तेनाली रमन कहता है :- महाराज मैंने इस बच्ची को इसीलिए लाया ताकि उस दिन कहे हुए बात को सिद्ध कर सकूं। अब आप तो श्रेष्ठ राजा है। लेकिन इस बच्ची ने आपको घोड़ा बनाकर आपकी पीठ पर बैठी, आपके मूंछ भी पकड़ी लेकिन आप इसे सजा नहीं दे पाए। इससे यह सिद्ध होता है की समय के अनुसार श्रेष्ठता बदल जाती हैं।

   महाराज भी तेनाली रमन की बात को समझ गया था। वह तेनाली रमन को बहुत-बहुत धन्यवाद बोलते हुए उन्हें इनाम भी देते हैं। 

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