Top 5 hindi kahaniyan tenali raman ki, best top 5 hindi kahaniyan by Motivationalwords
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दोस्तों आज की हमारी hindi kahaniyan :- Top 5 hindi kahaniyan tenali raman ki, best top 5 hindi kahaniyan by Motivationalwords होने वाली है।
इस hindi kahaniyan मे आपको tenali raman ki 5 सर्वश्रेष्ठ hindi kahaniyan पढ़ने को मिलेगी जो कि बहुत ही मजेदार होने वाली है। tenali raman जिसकी बुध्दि बहुत तीव्र थे। उस समय तेनाली tenali raman ki चतुराई विजयनगर राज्य में फैला हुआ था। राजा भी tenali raman ki चतुराई से बहुत ही प्रभावित थे। इसीलिए उन्होंने तो tenali raman को विजयनगर राज्य का विशेष सलाहकार बनाया था।
आज के समय में बच्चे tenali raman ki चतुराई के kahaniyan सुनना बहुत पसंद करते हैं। अतः आज मैं ऐसी ही Top 5 hindi kahaniyan tenali raman ki, best top 5 hindi kahaniyan by Motivationalwords को लेकर आया हूं। जो कि बहुत ही हास्य प्रद होने वाली है। अतः आप अंत तक बने रहे।
1. आखिर कैसे पकड़ा? वो भी एक कुंआ चोर को। तेनाली रमन की मजेदार कहानियाँ। tenali raman ki kahaniyan
2. कैसे तेनाली रमन अपने राज्य के राजा कृष्णदेव राय की बगीचे से बैगन चुरा कर सजा पाने से बच गया। tenali raman ki kahaniyan
3. सबसे कीमती उपहार तेनाली रमन ने कैसे लिया जानिए इस कहानी से Kahaniyan acchi acchi tenali raman ki
4. क्यों तेनाली रमन ने सुब्बाशास्त्री नामक ब्राह्मण का मजाक उड़ाया जानिए इस कहानी से tenali raman ki मजेदार कहानी।
5. तेनाली रमन ने राजा कृष्णदेव राय का घमंड कैसे तोड़ा जानिए इस कहानी से tenali raman ki मजेदार कहानियाँ।
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1. आखिर कैसे पकड़ा? वो भी एक कुंआ चोर को। तेनाली रमन की मजेदार कहानियाँ। tenali raman ki kahaniyan
यह बात उस समय की है जब विजयनगर राज्य में गर्मी के कारण पानी की कमी होने लगी थी। राजा कृष्णदेव राय अत्यधिक चिंता में रहने लगे। उन्होंने फौरन ही एक सभा बुलाई जिसमें पानी के विषय में चर्चा हुआ। खूब विचार-विमर्श के बाद राजा कृष्णदेव राय ने, अपने मंत्री को बहुत सारे धन दिए ताकि वह बहुत सारे कुंए का गांव में निर्माण करवा सके।
मंत्री ने यह काम बड़ा जोरो-शोरों से किया और कुएं के बन जाने के बाद राजा को खबर दी। राजा भी कुए की निरीक्षण के लिए गया। उन्होंने देखा, कि कुआं एकदम कुशल पूर्वक बना हुआ था। तथा उनमें लबालब पानी भरा हुआ भी था। राजा मंत्री को शाबाशी देकर राज्य वापस आ गया।
कुछ दिन बाद कुछ लोग उस राज्य में पहुंचे। जो राजा से मिलने के लिए दरबार में जाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन मंत्री तथा उनके सिपाही उन्हें अंदर जाने से रोक रहे थे। वे सभी इस बात से परेशान होकर तेनाली रमन के पास गया और अपनी परेशानी बताई।
गांव वालों ने बताया :- हमारे गांव में पानी की बहुत ही समस्या है। हम पानी के लिए तरस रहे हैं। कृपया आप इस विषय मे राजा से बात करें। जब हम महल मे जा रहे थे तब मंत्री और उसके सिपाही गण हमें अंदर जाने से रोक दिया।
तेनाली रमन उन सभी को आश्वासन देते हैं की वह राज्य से इस बारे में बात करेगा।
अगले दिन सभा में जब सभी लोग बैठे थे, तभी तेनाली रमन ने राजा से कहा :- महाराज! आपने जो गांवो मे कुआँ बनवाए थे उनकी चोरी हो गई है। किसी ने कुएं को चुरा लिए हैं।
राजा बोले :- यह आप क्या बोल रहे हो तेनाली रमन? भला कुए की चोरी कैसे हो सकती हैं। और कौन चुरा सकते हैं?
रमन :- मैं सत्य कह रहा हूं महाराज। कुंए की चोरी हो गई है। आप चाहे तो गांव वाले से भी बात कर सकते हैं। वह बाहर ही खड़े हैं।
राजा ने गांव वालों को दरबार में बुलाया। उनसे पूछते हैं।
सब गांव वाले बताते हैं :- महाराज हमारे गांव में कुंए की चोरी हो गई है। तथा पानी की समस्या हो रही है। कृपया इसकी निवारण करें।
राजा, तेनाली रमन और मंत्री गण गांव वालों के साथ उनके यहां निरीक्षण के लिए चले गए। जब राजा वहां पहुंचे। उन्होंने देखा कि वहां कुआँ का तो नामोनिशान ही नहीं है।
राजा समझ गए थे, कि यह मंत्री गण का ही काम है। अर्थात कुआं चोरी नहीं हुआ है, बल्कि मंत्री ने गद्दारी की है। वह केवल आस-पास के गांव में ही अच्छा कुएं का निर्माण कर बाकी के धन अपने जेब में रख लिया। और दूर वाले गांव को कुआँ से वंचित रखा।
राजा मंत्री को दंड स्वरूप कहते हैं :- तुम अपने धन से सभी गांव में सौ कुंए का निर्माण करोगे। तेनाली रमन की देखरेख में यह कार्य बहुत जल्द ही संपन्न हो गया। और सभी गांव वाली तेनाली रामा को धन्यवाद बोले।
यह रहा तेनालीराम की चतुराई यह कहानी आपको कैसा लगा हमें अवश्य बताएं।
2. कैसे तेनाली रमन अपने राज्य के राजा कृष्णदेव राय की बगीचे से बैगन चुरा कर सजा पाने से बच गया। tenali raman ki kahaniyan
अगले दिन राजा ने ऐसा ही किया। सभी मंत्री गण, तेनाली रमन और उनके दरबार के अधिकारी लोग भोजन करने लगे पहुंचा। सभी में सबसे स्वादिष्ट सब्जी बैगन की सब्जी थी। तेनाली रामा को भी यह सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट लगा।
तेनाली रमन घर जाकर यह बात अपनी पत्नी को बताया। उनकी पत्नी को यह बात पता चलते ही उनकी भी इच्छा होने लगी कि वह भी उस बैगन की सब्जी का स्वाद चखे।
रमन से कहने लगी :- आप बगीचे से 3 से 4 बैगन लाना मैं भी इसका स्वाद चखना चाहती हूं।
तेनाली रमन कहने लगा :- नहीं-नहीं, राजा को इस बारे में पता चलेगा, तो वह मुझे बहुत बड़ा दंड देगा।
लेकिन उसकी पत्नी नहीं मानी, वह जिद पर अड़ गई। "बस मुझे बैगन की स्वाद चखना है तो चखना है।" अब बेचारा करता भी तो क्या करता। मान गया बैगन लाने के लिए।
उन्होंने रात को ही किसी तरह छुपते छुपाते 3 से 4 बैगन तोड़ लाएं तथा अपनी पत्नी को उनका स्वाद चखा ही दिया।
उनकी पत्नी कहने लगी :- इतना स्वादिष्ट बैगन तो मैंने अपनी पूरी जिंदगी में नहीं खाई है। क्यों ना हम इसकी स्वाद अपने बेटे को भी चढ़ाएं? तुम कृपया कल और बैंगन ले आना।
तेनाली रामा कहने लगे :- इस बार तो तुम मुझे अवश्य ही फंसाओगी। यदि मेरा बेटा सभी को बता देगा तो। कि उसने बैगन की सब्जी खाई है। मुझे बहुत बड़ा दंड मिलेगा।इस बार भी उसकी पत्नी नहीं मानी।
अगले दिन रात को तेनाली रमन कुछ और बैगन तोड़ कर ला लिए। लेकिन इस बार उन्होंने एक योजना बनाया। जब उसके बेटे छत पर सो रहे थे, तभी वे एक बाल्टी पानी लेकर उसके सर पर मार दिया और कहने लगे घर के अंदर चलो वर्षा बड़ा जोरों से हो रहे है। उसका बेटा नीचे कमरे में चला आया तथा कपड़ा सुखाने लगा।
जब पूरा कपड़ा सूख गया तब तेनाली रमन ने उसे बैगन का स्वाद चखा दिया। उसके बेटा भी इतना स्वादिष्ट बैगन खाकर बहुत ही खुश हुआ।
अगले दिन दरबार लगा। उसमें बगीचे के माली ने राजा से शिकायत किया। "महराज बगीचे से कुछ बैगन गायब हो गए हैं, मुझे लगता है किसी ने बैगन को चुरा लिए हैं।"
तभी तेनाली रामा की विरोधी व्यक्ति कहते हैं :- महाराज यह कार्य किसी चतुर व्यक्ति ही कर सकता है। मुझे लगता है, कि यह कार्य अवश्य ही तेनाली रमन ने किया होगा। उनसे भला चतुर व्यक्ति कौन हो सकता है?
राजा इस बात की पुष्टि करने के लिए, कि आखिर चोर कौन हैं? तेनाली रमन और उसके बेटे को भी बुला लिया। क्योंकि बच्चा तो नादान होता है, उसे थोड़ा बहुत डरा धमका कर पूछने पर बता देता है। यह सोच राजा तेनाली रामा के बेटा से डरा कर पूछा :- बेटा कल रात तुमने कौन सी सब्जी खाया?
उसके बेटे ने कहा :- मैंने तो कल बहुत ही स्वादिष्ट बैगन की सब्जी खाया हूँ । मैंने ऐसी सब्जी जिंदगी में नहीं खाई थी।
तभी तेनाली रामा बीच में बोल पड़ा :- महाराज! मेरा बेटा कल रात में यही बड़बड़ा रहा था कि मैंने बहुत ही स्वादिष्ट बैगन की सब्जी खाई है और खूब बरसात भी हो रही है। जरा मौसम के बारे में भी तो पूछिए।
राजा उसके बेटे से पूछते हैं :- कल रात का मौसम कैसा था बेटा?
तेनाली रामा का बेटा :- महाराज कल तो बड़ा जोरों से बारिश होने लगी। मैं तो पूरा भीग गया था। सभी लोग समझ गए थे की यह लड़का सपना देख रहा था। क्योंकि कल रात तो वर्षा हुआ हि नहीं था एकदम सूखा था तो बारिश कान्हा से होता। तेनाली रमन जो कह रहा है वह सत्य है।
इस तरह तेनाली रमन ने अपनी चतुराई से सजा पाने से बज गया। आशा करता हूं यह कहानी आपको अच्छी लगी होगी।
3. सबसे कीमती उपहार तेनाली रमन ने कैसे लिया जानिए इस कहानी से Kahaniyan acchi acchi tenali raman ki
तेनाली रमन की कहानी बच्चों में बहुत ही प्रसिद्ध होती हैं। तेनाली रमन की किस्से चतुराई की कहानी तो बहुत ही सुने होंगे। लेकिन आज की हमारी कहानी में चतुराई के साथ साथ आनंद भी आने वाला है। अतः कहानी अंत तक अवश्य पढ़ें।
राजा कृष्णदेवराय उदारता से भरे हुआ था। वह अपनी प्रजा को प्रसन्न देख उनकी खुशी में शामिल होना चाहता था। उन्होंने अपनी उदारता पेश कर ही दिया।
राजा सोचने लगे।" क्यों ना मैं भी अपनी प्रजा की खुसी मे सम्मिलित हो जाऊं।"
महाराज कृष्ण देव राय सोचने लगे। "मैं अपने प्रजा को उपहार देकर उनकी खुशी को दोगुना कर दूंगा।"
उसी शाम को राजा कृष्णदेव राय ने अपने दरबार में सभी प्रजा गण तथा दरबारियों को आमंत्रित किया। और एक ही स्थान पर बहुमूल्य उपहारों कर ढेर लगा दिया। कहा "तुम सभी अपनी पसंद के अनुसार यहाँँ से उपहार ले सकते हो'
सभी दरबारी, प्रजागन अपनी पसंद के अनुसार उपहार लेने लगे। तभी वहां तेनाली रमन पहुंच जाता है। सभी को भगदड़ मचाते भीड़ देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है।
उपहार लेकर आते हुए प्रजा ने तेनालीरामा से कहा। "तुम भी अपना उपहार वहां से ले लो, राजा बहुत ही उदार हैं, वह सभी को अपनी पसंद के अनुसार उपहार लेने के लिए कह रहे हैं। जल्दी जाओ।"
जब तेनाली रमन उस स्थान पर पहुंचते हैं तब वहां पर सिर्फ खाली चांदी की थाली ही थी। तेनाली रमन उस खाली चांदी की थाली को एक लाल कपड़े से ढक दिया। ऐसा करते हुए देख बाकी के प्रजा गण और राजा आश्चर्यचकित हो गए।
राजा ने इसके पीछे का कारण पूछा। तेनाली रामा ने उत्तर देते हुए कहा। "महाराज! मैं आपकी प्रतिष्ठा की रक्षा कर रहा हूं।"
महाराज फिर बोल पड़े :- यह आप क्या कह रहे हो तेनाली रमन, जरा स्पष्ट कीजिए, कैसे मेरी प्रतिष्ठा की रक्षा कर रहे हो?
तेनाली रमन स्पष्ट करते हुए कहते हैं :- महाराज! यदि मैं इस खाली चांदी की थाली को ऐसी ही ले जाऊंगा, तो रास्ते मे प्रजागन सोचने लगेंगे, की महाराज के पास धन की कमी हो गई है, तभी तो यह खाली चांदी की थाली को ही ला रहा है। अतः मैं इसे लाल कपड़े से ढक रहा हूं। ताकि लगे की अवश्य ही इस थाली में कुछ ना कुछ होगा। जिससे आपकी प्रतिष्ठा भी बना रहेगा।
महाराज कहता है :- तुम बहुत ही अच्छा शुभचिंतक हो तेनाली रमन। तुम्हें मेरी प्रतिष्ठा की बहुत चिंता रहती हैं। इससे महाराज बहुत ही अत्यधिक प्रसन्न हुआ।
महाराज फिर तेनाली रमन को आदेश देते हैं। "यहां आओ तेनाली रमन"
तेनाली रमन महाराज की आज्ञा का पालन करते हैं।
महाराज ने अपनी गले से बहुमूल्य कीमती हार को उतारकर उस थाली में रख दिया और कहने लगा। "यह लो बहुमूल्य सबसे कीमती उपहार। अब तो थाली खाली नहीं है ना।
तेनाली रामा बहुत प्रसन्न हुआ। इस प्रकार तेनाली रमन ने एक बार फिर अपनी चतुराई से अपना कुछ ना होते हुए भी बहुत बड़ा कीमती उपहार पा लिया।
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