तेनाली रमन ने राजा कृष्णदेव राय का घमंड कैसे तोड़ा जानिए इस कहानी से तेनाली रमन की मजेदार कहानियाँ
तेनाली रमन ने राजा कृष्णदेव राय का घमंड कैसे तोड़ा जानिए इस कहानी से तेनाली रमन की मजेदार कहानियाँ
दोस्तों आज की कहानी में हम जानेंगे कि कैसे तेनाली रमन ने राजा कृष्णदेव राय का घमंड तोड़ा। यह कहानी बहुत ही लोकप्रिय हैं। आशा करता हूं की आप यह कहानी अंत तक पढ़ेंगे।
यह बात उस समय की है जब राजा कृष्णदेव राय की ख्याति बढ़ती ही जा रही थी। वह अपने पराक्रम से आसपास के सभी राज्यों को जीतते जा रहे थे। राजा की पराक्रम से सभी परिचित होने लगे।
सभी उनकी प्रसिद्धि का गुणगान करने लगे। इन सभी से राजा के अंदर घमंड आने लगा। वे सोचने लगे "मैं एक सर्वश्रेष्ठ राजा हूं। इस दुनिया में मेरे जैसा राजा कोई नहीं है।"
एक दिन तेनाली रमन भी राजा के साथ था।
राजा तेनाली रमन से कहा :- मेरी ख्याति बढ़ते ही जा रहा हैं। इस दुनिया में मुझसे ज्यादा पराक्रमी राजा और कोई नहीं है। मैं एक श्रेष्ठ राजा बन गया हूं। तुम क्या कहते हो तेनाली रमन?
तेनाली रमन विनम्र होकर बोलता है :- महाराज! आप ठीक ही कह रहे हैं, लेकिन आप की श्रेष्ठता समय के अनुसार बदल जाएगी।
राजा क्रोधित हो जाता है, यह क्या कह रहे हो तेनाली रमन? जरा स्पष्ट करो नहीं तो तुम्हें बहुत बड़ा दंड दिया जाएगा।
तेनाली रमन कहता है :- मुझे कुछ दिनों की समय दे दीजिए। मैं इसे सिद्ध करके दिखाऊंगा।
अब राजा और भी ज्यादा क्रोधित हो जाते हैं फिर भी वह मान जाता है। कुछ दिन गुजर जाने के बाद राजा कृष्णदेव राय इस घटना को भूल जाते हैं और अपने कार्य में लगे रहते हैं। तभी तेनाली रमन राजकीय कार्य से महल मे एक बच्ची के साथ आता है। वह बच्ची बहुत ही प्यारी थी।
महारानी बच्ची को देख अपनी गोद में ले लेती है। तथा उसके साथ खेलने लगती है। बीच में महारानी का कपड़ा भी गीला हो जाती हैं। वेश बदलकर फिर से बच्ची के साथ खेलने लगती है। यह दृश्य बहुत ही खुशी से भरा था।
पूरा दरबार भी इस मनोहर दृश्य को देखकर बहुत ही ज्यादा खुश थे। महाराज भी उस बच्ची को अपनी गोद में ले लेता हैं। वह बच्ची भी महाराज के साथ खेलने लगती हैं। महाराज का मूंछ को खींचने लगती हैं। साथ ही साथ महाराज को घोड़ा बनवा कर सवारी भी करती हैं।
महाराज कुछ समय के लिए अपना सारा राजकीय कार्य भूलकर उस बच्ची के साथ खेलता रहता है। पूरा दरबार यह दृश्य देखकर आनंदित हो जाते हैं। फिर राजा को याद आता है, की मैंने तो तेनाली रमन को राजकीय कार्य के लिए बुलाया था। इस बच्ची के साथ कैसे खेल खेल में खो गया पता ही नहीं चला। यही सोचने लगा।
तभी राजा ऊंचे स्वर में तेनाली रमन से कहता है। तेनाली रमन मैंने तो तुम्हें राजकीय कार्य के लिए बुलाया था। तुम किसकी बच्ची को उठा लाए, इससे मैं भी अपना कार्य भूल गया।
तेनाली रमन कहता है :- महाराज मैंने इस बच्ची को इसीलिए लाया ताकि उस दिन कहे हुए बात को सिद्ध कर सकूं। अब आप तो श्रेष्ठ राजा है। लेकिन इस बच्ची ने आपको घोड़ा बनाकर आपकी पीठ पर बैठी, आपके मूंछ भी पकड़ी लेकिन आप इसे सजा नहीं दे पाए। इससे यह सिद्ध होता है की समय के अनुसार श्रेष्ठता बदल जाती हैं।
महाराज भी तेनाली रमन की बात को समझ गया था। वह तेनाली रमन को बहुत-बहुत धन्यवाद बोलते हुए उन्हें इनाम भी देते हैं।
दोस्तों यह कहानी बहुत ही सीख देने वाली है आपका क्या कहना है हमें नीचे कमेंट जरूर करें और ऐसे ही कहानी पढ़ने के लिए सर्च करें motivationalwords.in अभी के लिए बस इतना ही।
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