सबसे कीमती उपहार तेनाली रमन ने कैसे लिया जानिए इस कहानी से Kahaniyan acchi acchi tenaliraman ki
सबसे कीमती उपहार तेनाली रमन ने कैसे लिया जानिए इस कहानी से Kahaniyan acchi achhi tenaliraman ki
नमस्कार दोस्तों आज की हमारी कहानी में आप जानेंगे कि कैसे तेनाली रमन ने सबसे कीमती उपहार राजा कृष्णदेव राय से लिया वह भी खाली चांदी की थाली में अपनी चतुराई से। तो चलिए पढ़ते है :-
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तेनाली रमन की कहानी बच्चों में बहुत ही प्रसिद्ध होती हैं। तेनाली रमन की किस्से चतुराई की कहानी तो बहुत ही सुने होंगे। लेकिन आज की हमारी कहानी में चतुराई के साथ साथ आनंद भी आने वाला है। अतः कहानी अंत तक अवश्य पढ़ें।
यह बात उस समय की है जब विजयनगर में त्यौहारों का माहौल चल रहा था। सभी प्रजा गण प्रसन्न मन से नाच रहे थे।
राजा कृष्णदेवराय उदारता से भरे हुआ था। वह अपनी प्रजा को प्रसन्न देख उनकी खुशी में शामिल होना चाहता था। उन्होंने अपनी उदारता पेश कर ही दिया।
राजा सोचने लगे।" क्यों ना मैं भी अपनी प्रजा की खुसी मे सम्मिलित हो जाऊं।"
महाराज कृष्ण देव राय सोचने लगे। "मैं अपने प्रजा को उपहार देकर उनकी खुशी को दोगुना कर दूंगा।"
उसी शाम को राजा कृष्णदेव राय ने अपने दरबार में सभी प्रजा गण तथा दरबारियों को आमंत्रित किया। और एक ही स्थान पर बहुमूल्य उपहारों कर ढेर लगा दिया। कहा "तुम सभी अपनी पसंद के अनुसार यहाँँ से उपहार ले सकते हो'
सभी दरबारी, प्रजागन अपनी पसंद के अनुसार उपहार लेने लगे। तभी वहां तेनाली रमन पहुंच जाता है। सभी को भगदड़ मचाते भीड़ देखकर आश्चर्यचकित हो जाता है।
उपहार लेकर आते हुए प्रजा ने तेनालीरामा से कहा। "तुम भी अपना उपहार वहां से ले लो, राजा बहुत ही उदार हैं, वह सभी को अपनी पसंद के अनुसार उपहार लेने के लिए कह रहे हैं। जल्दी जाओ।"
जब तेनाली रमन उस स्थान पर पहुंचते हैं तब वहां पर सिर्फ खाली चांदी की थाली ही थी। तेनाली रमन उस खाली चांदी की थाली को एक लाल कपड़े से ढक दिया। ऐसा करते हुए देख बाकी के प्रजा गण और राजा आश्चर्यचकित हो गए।
राजा ने इसके पीछे का कारण पूछा। तेनाली रामा ने उत्तर देते हुए कहा। "महाराज! मैं आपकी प्रतिष्ठा की रक्षा कर रहा हूं।"
महाराज फिर बोल पड़े :- यह आप क्या कह रहे हो तेनाली रमन, जरा स्पष्ट कीजिए, कैसे मेरी प्रतिष्ठा की रक्षा कर रहे हो?
तेनाली रमन स्पष्ट करते हुए कहते हैं :- महाराज! यदि मैं इस खाली चांदी की थाली को ऐसी ही ले जाऊंगा, तो रास्ते मे प्रजागन सोचने लगेंगे, की महाराज के पास धन की कमी हो गई है, तभी तो यह खाली चांदी की थाली को ही ला रहा है। अतः मैं इसे लाल कपड़े से ढक रहा हूं। ताकि लगे की अवश्य ही इस थाली में कुछ ना कुछ होगा। जिससे आपकी प्रतिष्ठा भी बना रहेगा।
महाराज कहता है :- तुम बहुत ही अच्छा शुभचिंतक हो तेनाली रमन। तुम्हें मेरी प्रतिष्ठा की बहुत चिंता रहती हैं। इससे महाराज बहुत ही अत्यधिक प्रसन्न हुआ।
महाराज फिर तेनाली रमन को आदेश देते हैं। "यहां आओ तेनाली रमन"
तेनाली रमन महाराज की आज्ञा का पालन करते हैं।
महाराज ने अपनी गले से बहुमूल्य कीमती हार को उतारकर उस थाली में रख दिया और कहने लगा। "यह लो बहुमूल्य सबसे कीमती उपहार। अब तो थाली खाली नहीं है ना।
तेनाली रामा बहुत प्रसन्न हुआ। इस प्रकार तेनाली रमन ने एक बार फिर अपनी चतुराई से अपना कुछ ना होते हुए भी बहुत बड़ा कीमती उपहार पा लिया।
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आखिर कैसे पकड़ा? वो भी एक कुंआ चोर को। तेनाली रमन की मजेदार कहानियाँ। tenalirama ki kahaniyan
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