Hindi kahani :- कल की चिंता में खोए हुए इस कहानी को अवश्य सुने. Best Motivational story
Hindi kahani कल की चिंता में खोए हुए इस कहानी को अवश्य सुने Best Motivational story.
बात उन दिनों की है जब भगवान शिव की कैलाश पर्वत पर सभा लगना था। सभी देवता गण उस सभा में सम्मिलित होने थे। तभी भगवान विष्णु अपने वाहन गरुड़ जी के साथ कैलाश पर्वत पहुंचा।
गरुड बहुत ज्यादा तेज उड़ते थे। उसे रेस में कोई भी नहीं हरा सकता था। वे मिनटों में हजारों कोस दूर उड़कर पहुंच सकते थे। विष्णु भगवान महल के अंदर चला गया और गरुड़ जी कैलाश पर्वत की खूबसूरती को निहार रहा था।
प्राकृतिक दृश्यों को देख रहे थे। तभी उनकी दृष्टि छोटी सी सुंदर रंग बिरंगी चिड़िया पर पड़ता है। गरुड उन्हें निहारता ही रहता है और सोचता है :- भगवान इसे कितना सुंदर बनाया है। ऐसा लगता हैं, बस इसे देखता ही रहूं। तभी वहां यमराज जी भी आ गया।
गरूड़ यमराज जी को प्रणाम करता है। यमराज जी गरुड़ को आशीर्वाद देता है। यमराज जी पहले तो उस चिड़िया को एकदम आश्चर्य से देखते हैं फिर महल के अंदर की ओर चला जाता है। देव सभा में।
गरुड़ जी सोचने लगे कि "लगता है इस चिड़िया का अंतिम समय निकट आ गया है। जब यमराज जी देव सभा से निकलेगा तब इस चिड़िया को भी अपने साथ ले जाएंगे।"
यह सोच गरुड़ जी उस सुंदर चिड़िया को अपने पंजों में पकड़ लिया और वहां से बहुत दूर लगभग हजारों कोस दूर एक सुनसान जंगल में एक पत्थर पर छोड़ दिया और अपने आप से कहने लगा। "अब शायद यह चिड़िया यहां सुरक्षित रहेगा, इसे यमराज जी भी अभी नहीं ले जा सकते।
भगवान भरोसे छोड़ गरुड़ कुछ समय में ही कैलाश पर्वत पर फिर पहुंच गया क्योंकि गरुड़ जी बहुत ही तेज रफ्तार से एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंच जाते थे। उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता था।
जब गरुड़ जी कैलाश पर्वत पर पहुंचा फिर से कैलाश पर्वत की प्राकृतिक दृश्यों को निहारता रहा। तभी देव सभा समाप्त हो गया। यमराज जी बहार आए। गरुड जी यमराज जी से पूछ लिया :- यमराज जी आप जाने से पहले एक चिड़िया को इतने आश्चर्य से क्यों देख रहे थे।
यमराज जी कहते हैं :- गरुड़ उस चिड़िया का अंतिम समय निकट आ गया था। लेकिन उसकी मृत्यु जहां कैलाश पर्वत पर नहीं होती। यहां से हजारों कोष दूर एक सुनसान जंगल में, जब यह चिड़िया एक पत्थर पर बैठी होगी तब एक सांप के द्वारा उसका भोजन बनेगी।
मैं यह सोच कर आश्चर्यचकित था, कि वह सुंदर चिड़िया अभी कैलाश पर्वत में है तो इतने कम समय में हजारों कोस दूर सुनसान जंगल पर कैसे पहुंच सकते हैं। लेकिन अभी तो वह सुंदर चिड़िया दिखाई नहीं दे रहे हैं। अर्थात उसकी मृत्यु निश्चित हो गई होगी।
तब गुरुजी सोचने लगता है। यह मैंने क्या कर दिया मैंने उस चिड़िया को उस सुनसान जंगल में उस पत्थर पर छोड़ आया। अभी तक तो वह चिड़िया सांप का भोजन बन गई होगी और उसकी मृत्यु भी हो गई होगी।
दोस्तों मृत्यु को कोई नहीं टाल सकता। हमें अपने आने वाले अगला पल ही ज्ञात नहीं होता, फिर भी हम कल की चिंता में खोए हुए होते हैं। अतः आप हर एक पल को खुल कर जिओ उसका आनंद लिया करें।
जब हमारी जाने का समय होगा तो भगवान उस समय ले जाएंगे। बेवजह क्यों सोचते रहते हैं अपने जीवन के बारे में।
दोस्तों आप हमेशा खुश रहिए इसी के साथ आज फिर भी विदा लेता हूं कल फिर लौटूंगा एक कहानी के साथ। अंत तक पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
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