सफलता की सबसे पहली सीडी इंसान की सोच से होती हैं। motivational speech in thinking power
सफलता की सबसे पहली सीडी इंसान की सोच से होती हैं। motivational speech in thinking power
सफलता की सबसे पहली सीडी इंसान की सोच से होती हैं। ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि इस दुनिया में जितने भी कार्य हुए हैं या अभी हो रहा है तथा आगे जितने भी कार्य होंगे, सर्वप्रथम किसी न किसी व्यक्ति की सोच से ही उत्पन्न होता है। बिना सोचे केवल और केवल दो ही कार्य हो सकते हैं। पहले एक्सीडेंट और दूसरा चमत्कार। इसके अलावा जितने भी कार्य होते हैं, पहले तो सोचा जाता है फिर उस काम को अंजाम दिया जाता है।
आपकी सोच कैसी है? यह आप की परवरिश पर भी निर्भर करती है। मैं आपको कुछ उदाहरण के माध्यम से समझाना चाहता हूं।
एक सर्कस की हाथी और एक जंगल की हाथी की सोच की बात करें तो सर्कस की हांथी की सोच को बांध दिया जाता है। जब हाथी का बच्चा होता है उसे एक खूंटी से बांध दिया जाता है। लेकिन वह हाथी का बच्चा उछल कूद करना चाहता है, खेलना चाहता है। और उस खूंटी को तोड़ने का भी प्रयत्न करने लगते हैं। लेकिन उस समय वह खूंटी को उखाड़ नहीं पाता है। वह इसी सोच के साथ बड़ा होता है कि मैं खूंटी को नहीं तोड़ पाऊंगा। वह हाथी उसी अनुरूप में परिवर्तित हो जाता है।
अब आप ही सोचिए कि एक विशालकाय हांथी क्या एक छोटे से खूंटी को उखाड़ नहीं पाएगा। लेकिन बचपन में मिली हुई सोच के कारण बड़े होने पर भी खूंटी को तोड़ने का प्रयास करते ही नहीं है। और एक जंगल की हाथी की सोच खुले होते हैं। जब उन्हें गुस्से भी आते हैं तो वे एक पेड़ को भी उखाड़ सकते हैं।
हर दिन एक व्यक्ति बहुत सी बातें सोचते हैं। लेकिन उनकी सोंच कुछ बड़ा करने की नहीं होती है। व्यक्ति बड़ा सोचने से डरता है। बचपन से उनकी सोच को बाँध दिया जाता हैं। एक बच्चा जो जहाज उड़ते हुए देखता हैं। माँ से कहते हैं :- माँ मैं भी हवाई जहाज में बैठूंगा।
उसकी मां कहती है :- बेटा उसमें बड़े आदमी (अमीर व्यक्ति) बैठते हैं। हमारी इतनी औकात नहीं है कि हम हवाई जहाज में बैठ सकें। हम बहुत गरीब हैं। ऐसे धीरे-धीरे उस बच्चे की सोच में भरे जाते हैं, कि वह गरीब हैं, वह कुछ नहीं कर सकता।
यदि उसकी मां उसी स्थान पर कहे कि उस समय यह कहे कि "हम अभी इस समय तो हवाई जहाज में नहीं चढ़ पाएंगे, लेकिन तुम इतने काबिल बनो कि एक दिन तुम हम सभी को हवाई जहाज में बैठाने की क्षमता रखो।" इससे बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ता है। सच में सोचने के पैसे नहीं लगते। सकारात्मक बातें सोचिए। यदि आप ऐसा करना सीख गए तो आपने सफलता की पहला कदम पार कर लिया है।
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